पहाड़ी प्रदेश हिमाचल की धरती लगातार हिल रही है। शिमला, कांगड़ा, मंडी, किन्नौर और ऊना में लगातार हलचल देखी जा रही है। क्या ये किसी बड़े भूकंप की चेतावनी तो नहीं है। ताज़ा झटके मंगलवार सुबह 1 बजकर 27 मिनट पर महसूस किए गए हैं। भूकंप की तीव्रता 3.3 रही जबकि, इसका केन्द्र चंबा था। सबसे ज्यादा झटके लोगों ने चंबा में महसूस किए। भूकंप के झटकों के कारण लोगों में दहशत का माहौल है। हालांकि कोई जानी-माली नुकसान की अभी तक कोई सूचना नहीं है।
भूकंप के झटकों से हिलती हिमाचल की धरती किसी बड़े भूकम्प की आहट तो नही?
हिमाचल की धरती 1905 के बाद से अब तक 14 बार बड़े भूकंप से हिल चुकी है। हालांकि इनमें सबसे बड़ा भूकंप 1905 का ही था । रिक्टर पैमाने पर उस भूकम्प की तीव्रता 7.8 आंकी गई थी। चार अप्रैल 1905 को जिला कांगड़ा में हुए भूकंप में 19,727 लोगों की जान गई थी। यह सरकारी आंकड़ा था। एक अनुमान के अनुसार भूकंप के दायरे में आए सारे क्षेत्र में करीब 28 हजार लोग और 53 हजार पशु मारे गए थे।
भूकंप की जद में चार लाख 16 हजार वर्ग किमी का क्षेत्र आया था। उसके बाद कुल्लू में 28 फरवरी 1906 को 6.4 तीव्रता का भूकंप आया था। 1905 के भूकंप में कांगड़ा के अधिकांश ऐतिहासिक भवन व धार्मिक स्थल नष्ट हो गए थे। भूकंप से कांगड़ा किला, कांगड़ा मंदिर, सिद्धनाथ मंदिर व कुछ चर्च नष्ट हो गए थे। बैजनाथ शिव मंदिर को आंशिक नुकसान पहुंचा था।
19 जनवरी 1975 को किन्नौर व लाहुल-स्पीति में रिक्टर पैमाने पर 6.8 तीव्रता का भूकंप हुआ था, जिसमें 60 लोगों की मौत हुई थी। इन भूकंप के बाद से कांगड़ा सहित मंडी व चंबा के कुछ क्षेत्र को भूकंप की दृष्टि से अतिसंवेदनशील जोन पांच में शामिल किया गया है। हिमाचल में अब तक आए बड़े 14 भूकंप का केंद्र जम्मू-चंबा सीमा, भरमौर, कांगड़ा, चीन-किन्नौर सीमा, कुल्लू व उत्तराखंड रहा है।
जिला कांगड़ा सहित समूचा हिमाचल में भूकंप की दृष्टि से संवेदनशील है। भूकंप के ऊपर लगातार हो रहे शोध के बाद बहुत कुछ निकलकर सामने आ रहा है। वर्ष 2005 में हुए शोध में सामने आया है कि कांगड़ा सहित प्रदेश के कई भागों में 8.6 तीव्रता का भूकंप आ सकता है। पिछले कुछ दिनों से लगातार आ रहे भूकंप कहीं किसी बड़े भूकंप की आहट तो नहीं है, जिसके लिए तैयार रहने की जरूरत है।