बिलासपुर जिले के लोगों को शीघ्र रेल सुविधा मिलेगी। भानुपल्ली से बिलासपुर के बैरी, बरमाणा तक आने वाली रेललाइन का ट्रैक के सर्वे का काम पूरा हो चुका है। सर्वे खत्म होने के बाद अब अगले माह से भूमि अधिग्रहण का काम शुरू हो सकता है। इससे पहले हिमाचल के दायरे में आने वाले नौ गांवों के लोगों को मुआवजे का भुगतान हो चुका है। धरोट, दबट में अभी मुआवजे का भुगतान होना बाकी है। दूसरे चरण में मुआवजे का आकलन जकातखाना के धनस्वाई गांव तक कर दिया है।
सर्वेक्षण में जुटे हुए इंजीनियरों के अनुसार 63 किलोमीटर लंबे रेलमार्ग में 20 सुरंगों का निर्माण किया जाएगा। इसमें पांच स्टेशन बनाए जाएंगे। सर्वेक्षण में जुटी टीम जल्द काम निपटाकर रिपोर्ट केंद्रीय रेलवे को भेजेगी। रेलवे के साथ अनुबंधित कंपनी के साइट इंजीनियर नीरज कुमार ने बताया कि सर्वेक्षण के आधार पर पाया गया कि कुल 20 सुरंगों का निर्माण होगा। सभी सुरंगें बिलासपुर जिले में ही बनेंगी। सबसे लंबी सुरंग पौने चार किलोमीटर की होगी, जो जुखाला से स्वाहण पंचायत के मेहला गांव तक बनेगी।
सुरंग के ऊपर खैरियां व स्वाहण पंचायतों की आबादी को इसके लिए उजाड़ा नहीं जाएगा। करीब ढाई किलोमीटर की सुरंग सुंगल से बगड़ा तक निकलेगी, जहां से आगे सीधे रेलवे लाइन बरमाणा ही पहुंचेगी। रेलवे का प्रयास है कि ज्यादातर पहाड़ के भीतर से ही इस लाइन को गुजारें। 63 किलोमीटर की लंबाई में 20 टनलों का निर्माण फाइनल किया गया है। जल्द डीपीआर बनाकर केंद्र को भेजी जाएगी। रेलमार्ग में बामटा बध्यात, मेहला, बरमाणा, धरोट और थलूं (पंजाब) रेलवे स्टेशन होंगे।
करीब 36 साल पहले देखा था सपना
बिलासपुर जिले में रेलवे लाइन के निर्माण का सपना सबसे पहले करीब 1982 में देखा गया था। इसके बाद हर वर्ष रेलवे बजट के दौरान लोगों को यह उम्मीद हमेशा रही कि केंद्र की ओर से भानपूल्ली-बरमाणा रेलवे लाइन के लिए बजट का प्रावधान किया जाएगा। 2011 में रेलवे का सर्वेक्षण हुआ पर भू-अधिग्रहण नहीं हो पाया था। अब काम में तेजी आई है और सिर्फ कुछ 100 मीटर सर्वेक्षण का काम बाकी है।