➤ हिमाचल को सहकारिता का आदर्श राज्य बताया गया
➤ उप-मुख्यमंत्री ने 121 ई-पैक्स और नई समितियों की जानकारी दी
➤ लगभग 20 लाख लोग सहकारिता आंदोलन से जुड़े
शिमला। हिमाचल प्रदेश ने एक बार फिर साबित किया है कि वह सहकारिता आंदोलन में देश के लिए पथप्रदर्शक की भूमिका निभा रहा है। शिमला में आयोजित सहकारिता विभाग की समीक्षा बैठक में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर ने हिमाचल को सहकारिता का आदर्श राज्य बताते हुए कहा कि यहां की विविधता और सामुदायिक सहयोग इस क्षेत्र को और मजबूत बनाते हैं। इस मौके पर उन्होंने 121 ई-पैक्स का शुभारंभ भी किया।

बैठक में उप-मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सहकारिता का जनक है और प्रदेश ने देश को इस क्षेत्र में नई दिशा दी है। उन्होंने बताया कि प्रदेश की सहकारी समितियों ने न केवल ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती दी है बल्कि महिला सशक्तिकरण का भी उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया है। वर्तमान में लगभग 20 लाख लोग सहकारिता से जुड़े हुए हैं, जबकि 2,287 प्राथमिक कृषि ऋण समितियां ग्रामीण वित्तीय समावेशन का कार्य कर रही हैं।

प्रदेश में 76 समितियां मछली पालन, 971 डेयरी समितियां दूध उत्पादन व वितरण, 441 समितियां बचत एवं ऋण सुविधा तथा 386 विपणन समितियां किसानों को उनकी उपज बेचने में मदद कर रही हैं। साथ ही 561 नई डेयरी समितियों का गठन किया गया है जो इस क्षेत्र को नई दिशा दे रही हैं।

उन्होंने जानकारी दी कि राज्य सरकार ने केंद्र की सहकारी नीतियों के अनुरूप हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी नीति 2025 का प्रारूप तैयार किया है। उप-मुख्यमंत्री ने सहकारिता मंत्री से हिमफैड और मिल्कफैड के डिजिटाइजेशन, समितियों के कंप्यूटरीकरण, तथा हिमकैप्स कॉलेज ऑफ लॉ ऊना को वित्तीय सहयोग देने की मांग भी रखी।
इसके अलावा, उन्होंने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय की फीस निर्धारण पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया। बैठक में केंद्रीय मंत्री ने आश्वस्त किया कि केंद्र सरकार सहकारिता क्षेत्र में हिमाचल को हरसंभव सहयोग देगी। उन्होंने प्रदेश को पूर्ण साक्षर राज्य का दर्जा प्राप्त करने पर बधाई भी दी। बैठक में विभिन्न समितियों के प्रतिनिधियों ने अपनी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला और भविष्य की योजनाओं की जानकारी दी।



