➤ नवरात्रि का शुभारंभ, पहले दिन होती है मां शैलपुत्री की पूजा
➤ सफेद रंग और दूध-घी का भोग मां शैलपुत्री को सबसे प्रिय
➤ घटस्थापना का शुभ मुहूर्त सुबह 06:27 से 08:16 तक, अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा उत्तम
सोमवार शारदीय नवरात्रि 2025 का शुभारंभ हो गया है। यह पर्व मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की उपासना का सबसे बड़ा अवसर माना जाता है। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना यानी कलश स्थापना से होती है और पहले दिन मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा का विधान है।
मां शैलपुत्री का स्वरूप और महत्व
मान्यताओं के अनुसार, हिमालय के घर जन्म लेने के कारण इन्हें शैलपुत्री कहा गया। मां शैलपुत्री को साहस, स्थिरता और सौभाग्य की देवी माना जाता है। इन्हें वृषारूढ़ा, उमा और हेमवती नामों से भी जाना जाता है। इनकी आराधना से मन की नकारात्मकता दूर होती है और जीवन में सुख-शांति व समृद्धि आती है।
पहले दिन का रंग — सफेद क्यों है खास?
नवरात्रि के पहले दिन का रंग सफेद होता है। इसे शुद्धता, शांति और सरलता का प्रतीक माना जाता है। इस दिन भक्त सफेद कपड़े पहनते हैं, सफेद फूल चढ़ाते हैं और गाय के दूध से बनी खीर या बर्फी का भोग लगाते हैं।
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
प्रातः कालीन मुहूर्त : 06:27 से 08:16 बजे तक (1 घंटा 48 मिनट)
अभिजीत मुहूर्त : 12:07 से 12:55 बजे तक
इन दोनों समयों में कलश स्थापना करना सबसे शुभ माना गया है।
घटस्थापना की सामग्री
कलश, सात प्रकार के अनाज, गंगाजल, नारियल, आम या अशोक के पत्ते, लाल कपड़ा, कलावा, पुष्प, मिठाई और सिंदूर। कलश के अंदर जल और अनाज डालकर ऊपर नारियल और पत्ते रखे जाते हैं और संकल्प लेकर मां दुर्गा का आवाहन किया जाता है।
पूजा विधि
सुबह स्नान कर गंगाजल से स्थान शुद्ध करें।
चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां दुर्गा की प्रतिमा स्थापित करें।
कलश स्थापना कर मां को लाल वस्त्र, पुष्प और श्रृंगार अर्पित करें।
दीप-धूप जलाकर घी और कपूर की आहूति दें।
नवरात्रि कथा पढ़ें और आरती करें।
अंत में सात्विक प्रसाद अर्पित करें।
मां शैलपुत्री की आरती (Shailputri Mata Aarti)
जय गिरिराज किशोरी अंबे। शिव मुख चंद चकोरी अंबे।
मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।।



