➤ हिमाचल विधानसभा के शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन भी भारी हंगामा, विपक्ष वेल में उतरा
➤ मंत्री जगत सिंह नेगी की आरएसएस पर टिप्पणियों से बवाल, मंत्री के बयान रिकॉर्ड से हटाने की मांग
➤ सदन की कार्यवाही बार-बार बाधित, अध्यक्ष को 10 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी
शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश विधानसभा का माहौल एक बार फिर गरमा गया। मंत्री जगत सिंह नेगी द्वारा आरएसएस पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणियों से नाराज़ विपक्ष सीधे वेल में जा पहुंचा और जमकर नारेबाज़ी करने लगा। विपक्ष का सीधा आरोप था कि मंत्री के बयान न केवल भड़काऊ हैं बल्कि लोकतांत्रिक परंपराओं के खिलाफ भी हैं, इसलिए इन्हें विधानसभा रिकॉर्ड से हटाया जाए।
तीखी तकरार, शोर-शराबे और अवरोधों के बीच प्रश्नकाल तो चला, लेकिन विपक्षी विधायक सदन में मौजूद होने के बावजूद कोई प्रश्न नहीं पूछ पाए। उनका कहना था कि मंत्री का बयान “अस्वीकार्य और दुर्भाग्यपूर्ण” है और जब तक इस पर कार्रवाई नहीं होती, वह सदन की प्रक्रिया में भाग नहीं लेंगे। इसी बढ़ते तनाव के बीच विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया को करीब 10 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।
दोपहर 12 बजे के बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और अध्यक्ष के हस्तक्षेप से कुछ शांति बहाल हुई। अध्यक्ष ने घोषणा की कि दोनों पक्षों की ओर से दिए गए आपत्तिजनक बयान रिकॉर्ड से हटाए जाएंगे, जिससे सवाल-जवाब का माहौल आंशिक रूप से सामान्य हो सका। लेकिन हंगामे के कारण प्रश्नकाल और शून्यकाल दोनों पर व्यापक असर पड़ा और सत्र का लगभग आधा समय अव्यवस्था की भेंट चढ़ गया।
इससे पहले नेता विपक्ष जयराम ठाकुर देरी से सदन पहुंचे और अध्यक्ष से बोलने की अनुमति मांगी, जिस पर अध्यक्ष ने आपत्ति जताते हुए कहा कि दो दिन से प्रश्नकाल बाधित हो रहा है और इसे सुचारु रूप से चलने दिया जाए। लेकिन विपक्ष नहीं माना और कुछ ही मिनटों में फिर से वेल में पहुंचकर तालियां बजाते हुए सदन का घेराव कर लिया।
विपक्ष का आरोप था कि मंत्री नेगी ने आरएसएस, महात्मा गांधी की हत्या और कई ऐतिहासिक विषयों पर तथ्यहीन एवं विवादित टिप्पणियां कीं, जिससे सदन की मर्यादा भंग हुई है। वहीं सत्तापक्ष का तर्क था कि विपक्ष मुद्दों से भटक रहा है और हर दिन अवरोध पैदा करना उसकी आदत बन गई है।
मुख्यमंत्री सुक्खू ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि एक मंत्री के खिलाफ विपक्ष की दुर्भावना बढ़ गई है और व्यक्तिगत टिप्पणियां करने से बचना चाहिए। उन्होंने कहा कि भाजपा जिन लोगों पर सत्यापन का सवाल उठाती है, उनके खिलाफ भी कई मामले लंबित हैं, पर कांग्रेस इन्हें सदन में नहीं उछालती।
नेता विपक्ष जयराम ठाकुर ने पलटवार करते हुए कहा कि राजस्व मंत्री व्यवस्थाओं को तहस-नहस कर रहे हैं और एक व्यक्ति के कारण पूरी सरकार कटघरे में खड़ी हो गई है। उन्होंने पूछा कि “आरएसएस जैसी वैचारिक संस्था पर तथ्यहीन हमले क्यों किए जा रहे हैं?” और मंत्री को सदन में माफी मांगने की मांग की।
भाजपा विधायक विपिन सिंह परमार ने कहा कि “हम सदन के अंदर और बाहर आरएसएस के स्वयंसेवक हैं। मंत्री के बयान दुखद हैं। आरएसएस देश निर्माण की शक्ति सिखाती है, विभाजन का समर्थन नहीं करती।”
संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि भाजपा खुद कभी कांग्रेस की तारीफ नहीं करती, तो कांग्रेस से इसकी उम्मीद कैसे कर सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि मंत्री नेगी ने किसी व्यक्ति विशेष पर हमला नहीं किया है और दोनों पक्षों के विवादित बयान रिकॉर्ड से हटाए जाने चाहिए।
अध्यक्ष पठानिया ने स्पष्ट कहा कि विषय से हटकर दिए गए सभी बयान रिकॉर्ड से हटेंगे। आगे से विधानसभा परिसर में किसी भी पार्टी द्वारा किए जाने वाले प्रदर्शन के लिए मंजूरी लेना अनिवार्य होगा।
उधर, सत्र के बाहर भाजपा प्रदेश महामंत्री संजीव कटवाल ने मंत्री नेगी पर “मानसिक संतुलन खोने” तक की टिप्पणी की और कहा कि महिला सुरक्षा, घरेलू हिंसा और मंत्री के परिवार पर उठे आरोपों पर कांग्रेस सरकार की चुप्पी शर्मनाक है।
शीतकालीन सत्र का तीसरा दिन भी भारी हंगामे में बीता और एक बार फिर सदन की कार्यवाही राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप की भेंट चढ़ गई।



