वैसे तो दस्तूर विकासकार्यों के शिलान्यास का निभाया जा रहा था। लेकिन, यहीं से चुनावी लकीर भी खींच दी गई। यह लकीर देश के सबसे पसंदीदा सियासी सब्जेक्ट 'हिंदू-मुसलमान' के बीछ खींची गई। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूपी के आज़मगढ़ से लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी पार्टी का एजेंडा तय कर दिया। उन्होंने जता दिया कि बीजेपी भी हिंदू-मुसलमान के नाम पर ही चुनावी अखाड़े में ताल ठोकने वाली है।
पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे के शिलान्यास के मौके पर प्रधानमंत्री ने विपक्षी पार्टियों पर हमला बोलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। पीएम ने कहा कि जो लोग पहले एक-दूसरे की शक्ल भी नहीं देखना चाहते थे, वे लोग अब सुबह-शाम मोदी-मोदी चिल्ला रहे हैं। उनका इशारा बीएसपी प्रमुख मायावती और एसपी प्रमुख अखिलेश यादव तथा कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ था।
मोदी ने कांग्रेस पर हमला बोलते हुए सवाल ठोक दिए कि क्या वह मुसलमानों की पार्टी है…अगर है, तो वह मुसलमान पुरुषों की है या मुसलमान महिलाओं की??? तीन तलाक के मामले में मोदी ने कांग्रेस पर अड़ंगा लगाने के आरोप लगाए।
गौरतलब है कि इससे पहले कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी ने मुस्लिम बुद्धिजीवियों के साथ बैठक की थी। जिसके बाद मीडिया में कई तरह की ख़बरें और कांग्रेस के नेताओं के बयान भी चर्चा में रहे। इसी दौरान कांग्रेसी सांसद शशि थरूर को 'हिंदू-पाकिस्तान' वाले बयान पर किरकिरी झेलनी पड़ी।
पहले से ही हिंदू-मुसलमान के सियासी पिच पर बैटिंग कर रही बीजेपी को कांग्रेस का मुस्लिम बुद्धिजीवियों के सम्मेलन ने एक तगड़ा मौका दे दिया। ऊपर से शशि थरूर के बयान ने भी आग में घी डालने का काम किया। ऐसे में मौके पर चौका लगाने में माहिर पीएम नरेंद्र मोदी ने खुल्लम-खुल्ला अपने भाषणों से देश को जता दिया कि चुनाव सांप्रदायिक ध्रुवीकरण पर ही लड़ा जाने वाला है।
हालांकि, फेसबुक और ट्विटर पर कुछ जमाते हैं जो आर्थिक घाटा, रोजगार, चुनावी वादे, विदेश नीति, मेक-इन-इंडिया, मेरा देश बदल रहा है, जैसे तमाम बिंदुओं पर बहसबाजी की एक शक्ल देने में जुटी हैं। लेकिन, सियासी दल और मेन-स्ट्रीम मीडिया इन मुद्दों को डिबेट से कोसो दूर फेंके हुए है।