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विस्थापित दलितों के आशियानों पर मंडराया खतरा, सालों से धंस रही गांव की जमीन

गौरव |

कुल्लू के पार्वती जल विद्युत परियोजना के निर्माण के लिए दो बार विस्थापन का दंश झेल चुके सोती वासियों के सर से आफत अभी टली नहीं है। पुश्तैनी घरों को परियोजना के लिए त्याग चुके दलित ग्रामींणों के नए बसाए अशियानें फिर खतरे की जद में है। शलाह स्थित डैम से सौ मीटर की दूरी पर बसे सोती गांव के आसपास भू-स्खलन होने से ग्रामीण दहशत में है। गांव में एक दर्जन से अधिक दलित परिवार रहते है। आठ वर्षों से गांव की जमींन धंस रही है।

परियोजना प्रबंधन के बेरूखी से परेशान ग्रामीण कभी एसडीएम तो कभी डीसी के दफतर में फरियाद पहुंच रहें है। इस बार फिर लगातार हो रही बरिश से गांव के साथ वहने वाले नाले में जलस्तर बढ गया है। गांव के रास्तें टूट गए है। परियोजना के निर्माण के लिए की गई खुदाई से गांव के नीचे से गुजार रही सडक धंस रही है। सोती गांव के लोगों ने कहा कि प्रशासन उनकी ओर कोई ध्यान  नही दे रहा है। दो वर्षों से डीसी गांव में भू स्खलन का कारण जानने के लिए विशेषज्ञों की टीम भेजने का अश्वासन दे रहे है लेकिन टीम के न आने से ग्रामिंणों में आक्रोश है।

सोती गांव के पास पार्वती परियोजना के डैम के निर्माण के लिए भारी खुदाई की गई है। गांव के भगत राम, दासी देवी, प्रेमा देवी, परस राम, अमर चंद, डोले राम और तेज राम ने कहा कि रास्ते टूटने से स्कूली बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। परियोजना प्रबंधन से 2011 में हुए समझौते में प्रबंधकों ने गांव को पहुंचने वाले नुकसान की भरपाई करने पर हामी भरी थी लेकिन अब उनको नजरअंदाज किया जा रहा है। आठ वर्षों से ग्रामीण खौफ के साए में जी रहे है।

ग्रामीणों ने कहा कि उन्हे परियोजना प्रबंधन की लापरवाही का खमियाजा भूगतना पड़ रहा है। हालत यह है कि अब प्ररियोजना प्रबंधन मिलने का समय तक नही देते। उन्हे गेट पर तैनात सुरक्षाकर्मी बेरंग वापिस लौटा देते है। ग्रामिंणों का कहना है कि इस बार बरसात में उनके घर बचने वाले नहीं है। 

 उधर एसडीएम बंजार एमआर भारद्वाज ने कहा कि ने सोती गांव में भू-स्खलन रोकने के लिए हर सम्भव प्रयास किए जाएगें। इधर एनएचपीसी चरण तीन के महाप्रबंधक सीबी सिंह का कहना है कि परियोजना प्रबंधन ने सड़क के उपर डंगों का निर्माण किया है। विस्थापित परिवारों के साथ उनका हमेशा सहयोगात्मक रवैया रहा है।