हिमाचल के निजी शिक्षण संस्थानों में दाखिले के नाम पर करोड़ों की स्कॉलरशिप हड़पने के मामले में केंद्र ने प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है। मामले पर केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय व सामाजिक अधिकारिता मंत्रालय ने नोटिस भेज कर प्रदेश सरकार से रिपोर्ट तलब की है।
मंत्रालय ने शिक्षा सचिव से अभी तक हुई जांच का स्टेटस मांगा है। केंद्र ने प्रदेश सरकार को नोटिस भेज कर पूछा है कि छात्रों को स्कॉलरशिप क्यों नहीं मिली और छात्रवृत्ति का करोड़ों का पैसा कहां गया? मंत्रालय ने प्रदेश सरकार से पिछले पांच सालों का रिकॉर्ड मांगा है। अगर मामले में शिक्षा विभाग की लापरवाही सामने आती है तो केंद्र सरकार प्रदेश को विभिन्न स्कॉलरशिप योजनाओं के तहत दी जाने वाली राशि को भी बंद कर सकता है।
शिक्षा सचिव डॉ. अरुण कुमार शर्मा ने बताया कि केंद्र के अधिकारियों को मामले से अवगत करवा दिया गया है। केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने ट्राइबल स्कॉलरशिप का पिछला सारा रिकॉर्ड मांगा गया है जबकि, सामाजिक न्याय व अधिकारिता मंत्रालय ने एससी एसटी और ओबीसी की छात्रवृत्ति का रिकॉर्ड सरकार से मांगा है। दोनों मंत्रालयों ने साफ कहा है कि पिछले बजट का हिसाब देने पर ही आगे का बजट जारी किया जाएगा।
जानकारी के मुताबिक मामले में जांच के लिए कमेटी का गठन किया गया है। प्रदेश में 5 साल तक जनजातीय क्षेत्रों में स्कॉलरशिप राशि नहीं दिए जाने के दौरान तैनात अधिकारी और लापरवाहियों पर जांच की जा रही है। गौर हो कि हिमाचल में पिछले 5 सालों में पूर्व मैट्रिक स्कॉलरशिप व ट्राइबल स्कॉलरशिप में करोड़ों का घोटाला हुआ है। 5 साल से ट्राइबल छात्रों को ट्राइबल स्कॉलरशिप ही नहीं मिली है जबकि, विभाग के मुताबिक हर साल बच्चों को स्कॉलरशिप की राशि जारी की गई है।