भारत के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ओम प्रकाश रावत ने कहा है कि एक देश, एक चुनाव अभी क़ानूनी रूप से संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून में संशोधन के बाद ही एक साथ चुनाव संभव हो सकते हैं। रावत ने कहा कि11 राज्यों में एक साथ चुनाव की संभावना दिखती है।
देश में एक साथ चुनाव करवाने को लेकर बीजेपी और कांग्रेस आमने-सामने आ गए हैं। कांग्रेस ने कहा, ‘’एक साथ चुनाव संविधान संशोधन के सिवा संभव नहीं है। इसके अलावा एक रास्ता है कि अगर प्रधानमंत्री मोदी इस्तीफा दें और लोकसभा भंग कर चुनाव का ऐलान करें।अगर लोकसभा भंग होती है तो हम लोकसभा और तीन विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने को तैयार हैं’’।
वहीं नीतीश कुमार ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' का समर्थन करते हुए एक बार फिर कहा कि फ़िलहाल ये संभव नहीं है।
बीजेपी ने भी देश में एक साथ चुनाव कराने का समर्थन किया है। पार्टी से जुड़े सूत्रों के अनुसार अगले साल देश के 11 राज्यों में एक साथ चुनाव कराए जा सकते हैं। इसके लिए अभी से ही तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। बीजेपी ने चुनाव में होने वाले खर्च पर अंकुश लगाने के लिए देश में एक साथ चुनाव कराने पर जोर दिया है।
सूत्रों के अनुसार बीजेपी के इस रुख के बाद देश के तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ में होने वाले विधानसभा चुनाव को विलंबित किया जा सकता है। इतना ही 2019 में जिन राज्यों में चुनाव होने हैं उसे भी एक ही साथ कराया जा सकता है। हालांकि अभी तक इस मामले में किसी ने औपचारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा है। पार्टी से जुड़े सूत्रों ने बताया कि राज्यों का चुनाव विलंबित करने या पहले कराने को लेकर कोई ठोस प्रस्ताव नहीं है और इस विचार पर पार्टी के भीतर औपचारिक रूप से चर्चा नहीं की गई है।
ऐसा इसलिए भी क्योंकि ऐसे कदमों की संवैधानिक वैधता को भी ध्यान में रखना होगा। वहीं इन सब के बीच देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर सरकार एक सर्वदलिय बैठक भी बुला सकती है। केंद्र सरकार लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव एकसाथ कराने पर आमसहमति बनाने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाने पर विचार कर रही है।
यह बैठक विधि आयोग द्वारा इस मामले में कानूनी ढांचे की सिफारिश के बाद आयोजित की जा सकती है। सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर नेताओं के बीच चर्चा का दायरा बढाने के लिए आगामी दिनों में सर्वदलीय बैठक बुलाई जा सकती है, लेकिन बैठक बुलाने को लेकर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है।
जानकरी के अनुसार सरकार विधि आयोग की रिपोर्ट का इंतजार कर रही है जो दोनों चुनाव एक साथ कराने के लिए कानूनी ढांचा पेश करेगी। रिपोर्ट सरकार के पास आने के बाद उस पर चर्चा के विस्तृत बिन्दु होंगे। गौरतलब है कि चुनाव एक साथ कराने की व्यावहारिकता की जांच कर रहे आयोग ने अपनी रिपोर्ट को अंतिम रूप देने से पहले राजनीतिक दलों से नजरिया पूछा था।