बात करीब 43 साल पहले की है। उस दौरान पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी बतौर संघ प्रचार हमीरपुर आया करते थे। उस दौरान उनसे जुड़ी स्मृतियों को काफी लोग याद करते हैं। 70 के दशक में अटल जी की स्वर्गीय जगदेव और वकील कालीदास के साथ अक्सर हमीरपुर के आयोजित कार्यक्रमों देखा जाता था। उसी दौर को याद करते हुए यहां के नागरिक आनंद स्वरूप भावुक हो उठते हैं।
आनंद स्वरूप का कहना है कि उनके जहन में अभी भी वो पल जिंदा हैं, जब अटल जी उनके घर आया करते थे। शहर की गलियों में घुमना, चाय की दुकानों पर अपने करीबियों के साथ चुस्की लेना और देश की विदेश के मसलों पर विमर्श रखना विशेष क्षण होते थे। बतौर संघ प्रचारक उनकी कार्यशैली को कभी भी बुलाया नहीं जा सकता। उस दौरान दिए गए उनके भाषण आज भी जिवंत हैं। आनंद स्वरूप बताते हैं कि अटली जी तब हमीरपुर में जनसैलाब को नहीं बल्कि नुक्कड़ सभाओं को संबोधित करते थे। तत्कालीन दौर में भी लोग उनकी वाणी से बंध जाते थे और भाषण के मर्म पर अक्सर चर्चा होती रहती थी। अक्सर नुक्कड़ सभाओं में उन्हें शांता कुमार और जगदेव के साथ देखा जाता था।
अटल जी हमीरपुर के किसी सराय या रेस्ट-हाउस नहीं बल्कि आम कार्यकर्ताओं के घरों में रूका करते थे। हमारे घरों में रुकने के दौरान भी उनके व्यक्तिव के दूसरे पहलू को भी देखा। जब घर में बैठते तो उनकी बातें बेहद हल्की-फुल्की हुआ करती थीं। खाने के भी बहुत शौकीन थे। ख़ास तौर पर हिमाचली व्यंजन के प्रति उनका विशेष अनुराग रहता था। घरों में बातचीत में वह गंभीर चिंतन को भी मजाकिया अंदाज में रख देते थे। हालांकि, उसमें व्यंग्य काफी गहरा होता था। आनंद स्वरूप कहते हैं कि उनके दुनिया से चले जाने से ऐसा लग रहा है कि हमारा अभिभावक और मार्गदर्शक हमसे दूर हो गया।