शिमला का टाउन हॉल अपने ऐतिहासिक गोथिक वास्तु कला के भवनों के लिए विख्यात अंग्रेजों की ग्रीष्मकालीन राजधानी शिमला के ज्यादातर ऐतिहासिक और विरासती भवन जर्जर हो चुके हैं। एक ऐसा ही विरासती भवन है शिमला का प्रसिद्ध टाउन हॉल जिसके जीर्णोद्धार का कार्य पूरा हो चुका है। लेकिन अब लड़ाई ये है कि ये हॉल किसको मिलना चाहिए। जीर्णोद्धार का कार्य शुरू होने से पहले ये ऐतिहासिक भवन नगर निगम शिमला के पास था। लेकिन भवन के जीर्णोद्धार के बीच ही मामला हाइकोर्ट में चल रहा है कि ये भवन किसको मिलना चाहिए। कोर्ट में इस भवन को एक पुस्तकालय या म्यूजियम के रूप में बदलने के लिए याचिका डाली है।
ये भवन किसको मिले इसके लिए शिमला में पर्यटन विभाग ने सभी स्टेक होल्डर बुलाए। लेकिन नगर निगम के सभी सदस्य इस भवन को नगर निगम को वापिस देने पर अड़े जबकि कुछ लोग इस सम्पति पर पुस्तकालय या म्यूज़ियम के पक्ष में दिखे। शिमला के पूर्व सीपीआईएम मेयर रहे सजंय चौहान ने ज़ोरदार ढंग से कहा कि ये भवन नगर निगम का है वापिस उसी को मिलना चाहिए। पर्यटन विभाग एवम सरकार को ऐसी बैठक कर इसका भविष्य तय करने का अधिकार नही है।
नगर निगम शिमला सबसे पुरानी निगम है। इसलिए ये मीटिंग असंवैधानिक है। नगर निगम की मेयर को पूरा हक है कि वह आज ही टाउन हॉल में जाएं और वहां कुर्सी पर बैठे। इतना सुनना था की सभी पूर्व एवम मौजूद वर्तमान पार्षद इसके पक्ष में खड़े हो गए ओर सदन में हंगामा शुरू हो गया।
110 साल पुराने इस भवन का निर्माण 1908 में किया गया था और इसका डिजाइन स्कॉटलैंड के आर्किटेक्ट जेम्स रेंजैम द्वारा बनाया गया था. लेकिन रखरखाव न होने और शिमला नगर निगम की अनदेखी के चलते यह भवन जर्जर हो गया था। अब 8 करोड़ 2 लाख के खर्चे से जीर्णोद्वार का कार्य किया गया। टाउन हॉल शिमला शहर की एक प्रसिद्ध विरासत इमारत है जिसका निर्माण सन् 1908 किया गया था। इसका जीर्णोद्धार किया गया है।