हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय और कॉलेज में बैन छात्र संघ चुनाव का अंतिम फैसला 4 सितंबर को आ सकता है। विश्वविद्यालय कुलपति ने छात्र संघ चुनावों को लेकर अधिकारियों के साथ बैठक बुलाई है। इस बैठक में छात्र संघ चुनाव होने या ना होने पर निर्णय लिया जाएगा। विवि प्रशासन ने इस पर फैसला लेने के लिए हाई पावर कमेटी का गठन किया था। विवि डीएसडब्ल्यू की अध्यक्षता में ये कमेटी बनाई गई थी। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट कुलपति को दे दी है.
विवि कुलपति को दी गई रिपोर्ट पर ही बैठक में कमेटी के सदस्यों के साथ चर्चा करेंगे. हाई पावर कमेटी की रिपोर्ट को विवि के सभी विभागों के विभागाध्यक्षयों के साथ ही कॉलेज प्रिंसिपल से छात्र संघ चुनावों पर ली गई राय के आधार पर तैयार किया गया है। रिपोर्ट में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया की भी पूरी जानकारी शामिल की गई है। अब 4 सितंबर को होने वाली बैठक पर ही छात्र संघ चुनावों का भविष्य टिका हुआ है।
चुनावों की बहाली की मांग को लेकर छात्र संगठन आए दिन धरना ओर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। सगठनों की एक ही मांग है कि छात्र संघ चुनावों को बहाल किया जाए और विवि सहित कॉलेजों में प्रत्यक्ष रूप से चुनाव करवाए जाएं। एबीवीपी और एसएफआई ने छात्र संघ चुनाव को अपनी अंदोलन की रणनीति में सबसे ऊपर रखा है। इसके पीछे की एक वजह यह भी है कि प्रदेश भाजपा सरकार ने अपने चुनावी एजेंडे में छात्र संघ चुनावों की बहाली को शामिल किया था। यही वजह है कि अब छात्र इस मांग को पूरा करने पर अड़े हैं। सरकार और विवि प्रशासन असमंजस की स्थिति में है कि जिस छात्र हिंसा को देखते हुए चुनाव बैन किए गए हैं उन्हें कैसे बहाल किया जाए।
गौरतलब है कि प्रदेश में साल 2014 में छात्र हिंसा को बढ़ता देख विवि के पूर्व कुलपति प्रो.एडीएन वाजपेयी ने सरकार की सहमति से छात्र संघ चुनावों पर प्रतिबंध लगाया था, तब से लेकर बीते सत्र तक विवि ओर कॉलेजिस में चुनाव अप्रत्यक्ष रूप से मेरिट के आधार पर ही करवाए जा रहे हैं।
छात्र संगठन साल 2014 से ही चुनाव पर प्रतिबंध लगाने का विरोध करते आ रहे हैं, लेकिन पूर्व की कांग्रेस सरकार ने शिक्षण संस्थानों में शांति बनाए रखने के लिए इन चुनावों पर लगा प्रतिबन्ध नहीं हटाया लेकिन अब भाजपा की सरकार के सत्ता में आने के बाद छात्र संगठन एक बार फिर से चुनावों की बहाली की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।