मौसम की बेरुखी इस साल टमाटर उत्पादकों पर भारी पड़ गई है। प्रतिकूल मौसम के चलते टमाटर फसल में कई बीमारियों के पनपने से फसल को काफी नुकसान हुआ है। मार्केट में उम्दा दाम नहीं मिलने से किसानों को भी भारी नुकसान झेलना पड़ा। साथ ही फसल पर सूखे का कहर ऐसा बरपा कि रोपित पौधों को विकसित होने में समय ही नहीं लग पाया। इससे टमाटर उत्पादन मनमाफिक नहीं हो रहा। कुल्लू जिले में करीब 1500 हेक्टेयर जमीन पर वर्तमान में टमाटर की खेती हो रही है।
बताया जा रहा है कई क्षेत्रों में तो खेतों में टमाटर के पौधे क्षतिग्रस्त होने से उत्पादन न के बराबर हुआ। ऐसे में किसानों का फसल पर किया गया खर्चा भी पूरा नहीं हो पाया। जिन किसानों ने फसल बीमा किया है, उनको भी कंपनी की ओर से वक्त पर भुगतान नहीं किया गया है। ऐसे में किसान काफी परेशान हैं। पिछले कुछ वर्षों से टमाटर के उम्दा दाम मिलने से किसान उत्साहित होकर बडे़ भू भाग पर खेती कर रहे थे। लेकिन इस वर्ष आशा के अनुरूप उत्पादन न होने के कारण तथा फसल पर बीमारियों का कहर बरपने से किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा। मंडियों में रेट भी कम मिलने से किसान मायूस हैं।
किसान सभा के उपाध्यक्ष देव राज नेगी बताते हैं कि टमाटर फसल पर मौसम का कहर और मार्केट में आशा के अनुसार रेट न मिलने से किसानों को काफी नुकसान झेलना पड़ा। उधर, इस संबंध में कृषि विभाग के उपनिदेशक रतन भारद्वाज ने कहा कि मौसम की बेरुखी के कारण तथा समय पर पहले बारिश न होने से इस फसल को नुकसान हुआ है।