बजौरा से कुल्लू तक फोरलेन निर्माण में एन.के.सी. कंपनी द्वारा निकल रहे मलबे की अवैध रूप से ब्यास किनारे डंपिंग कर एन.जी.टी. के निर्देशों की सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। ब्यास नदी में मलबा फैंकने से जीव-जंतु और पेड़-पौधों को भी नुक्सान पहुंच रहा है। वहीं लोगों ने जिला प्रशासन से कंपनी प्रबंधन के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है, ताकि अवैध डंपिंग रोकी जा सके।
आने वाले समय मे इसका भारी भरकम नुकसान झेलना पड़ सकता है। ब्यास नदी में मलबा डंप करने से डैम को भी खतरा हो सकता है। इसी नदी में कुछ दूरी पर लारजी और पंडोह डैम भी स्थापित है। यदि बाढ़ जैसी स्थिति बनी तो भारी नुकसान हो सकता है। अब देखना यह है कि एनजीटी इस पर क्या कार्रवाई करती है।
चारागाह भूमि का मिटाया जा रहा नामोनिशान
स्थानीय लोगों लोगों कहा कि फोरलेन निर्माण से निकल रहे मलबे को ब्यास नदी के किनारे जहां पर चरागाह भूमि थी, उस पर अवैध रूप से डंप कर चारागाह का नामोनिशान मिटा दिया गया है। इससे ग्रामीणों को मवेशियों को चारागाह भूमि न होने से समस्या का सामना करना पड़ रहा है।