हिमाचल को विशेष दर्जा के रूप में प्राप्त धारा-118 पर मचे हंगामे के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने नोटिफिकेशन वापस ले लिया है। मुख्यमंत्री ने मीडिया रिपोर्टों पर संज्ञान लेते हुए यह फैसला लिया है। उन्होंने कहा कि धारा-118 में संशोधन (गैर हिमाचली अधिकारियों और कर्मचारियों की संतानों के नाम से जमीन खरीदने का मामला) को लेकर कुछ लोगों को आपत्ति हो रही थी। लिहाजा, इस नोटिफिकेशन को तत्काल प्रभाव से वापस लेने का फैसला लिया है।
गौरतलब है कि पिछले दो दिनों से धारा-118 में संशोधन को लेकर मीडिया में कन्फ्यूजन बढ़ गया था। सरकार की तरफ से भी इस मामले में कोई जानकारी नहीं दी जा रही थी। कोई भी अधिकारी या सरकार का नुमाइंदा इस मामले में स्पष्ट बात नहीं कर रहा था। लेकिन, आखिरकार बढ़ते बवाल के बीच खुद मुख्यमंत्री को सामने आना पड़ा और मामले में बिना सफाई पेश किए ही उन्होंने संशोधन वापस लेने का ऐलान कर दिया। यानी कि इससे साफ हो गया कि धारा-118 में गैर हिमाचली अधिकारियों और कर्माचरियों को लाभ पहुंचाने का फैसला चुपके से हुआ था।
सरकार की कार्यशैली पर सवाल
लेकिन, सवाल ये उठता है कि ऐसे संवेदनशील और प्रदेश के संजीदा मसले की जानकारी आखिर क्या सरकार को नहीं दी गई? क्या सरकार की जानकारी के बगैर ही यह संशोधन हो गया? अगर इस मामले की जानकारी सरकार को पहले से थी तो मीडिया की चर्चाओं और सवालों पर पिछले दो दिनों से चुप्पी क्यों साधी गई थी?
संशोधन के तहत हिमाचली में गैर-हिमाचली सरकारी कर्मचारी और अधिकारी अपने बच्चों के नाम से प्रदेश में जमीन खरीद सकते थे भले ही उनके बच्चे प्रदेश से बाहर ही क्यों ना रहते हों। यह ख़बर मीडिया में आने के बाद हर तरफ चर्चा का बाजार गर्म हो गया। हालांकि, सरकार की तरफ से ना तो इस मामले में कोई पुष्टि की जा रही थी और ना ही कोई बयान दिया जा रहा था।