आज पूरा देश अध्यापक दिवस मना रहा है और सलाम कर रहा है शिक्षकों को जो ज्ञान की ज्योति को जलाकर इस देश का भविष्य उज्ज्वल कर रहे हैं। आज एक सलाम एक ऐसे अध्यापक को जिनके दोनों बाजू नहीं हैं, पर मेहनत और जिंदादिली की मिसाल ये टीचर इस देश के भविष्य निर्माण में लगे हैं और प्रेरणास्त्रोत बनकर उभरे हैं।
हरिदत्त शर्मा सिरमौर के दूरदराज मालगी गांव के रहने वाले हैं। वह खुद तमाम तकलीफें उठाकर प्राथमिक स्कूल में बच्चों का भविष्य सवारने में लगे हैं। उन्होंने दिव्यांगता को कभी भी चुनौती नहीं बनने दिया, न ही अपने विद्यार्थियों और उनकी शिक्षा के आड़े आने दिया। हरिदत्त शर्मा दोनों बाजुएं न होने के बावजूद पढ़ाने में तो अव्वल हैं ही, लिखने में भी उनका कोई जबाब नहीं है।
बच्चों को इतने सहत ढंग से पढ़ाते हैं कि साधारण से साधारण दिमाग वाला बच्चा आसानी से समझ जाए। बच्चे भी ऐसे साधारण व्यक्तित्व और उच्च आदर्शों वाले गुरु पाकर धन्य हो रहे हैं। विद्या के इस मंदिर में सुविधाओं के तमाम अभाव हैं लेकिन हरिदत्त का प्रयास रहता है कि बच्चों का सर्वांगीण विकास है।