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SC/ST एक्ट के विरोध में आज भारत बंद, यहां लगी धारा 144

डेस्क |

अनुसूचित जाति-जनजाति (SC/ST) संशोधन अधिनियम के खिलाफ सवर्ण संगठनों के द्वारा आज 'भारत बंद' है।  मोदी सरकार के खिलाफ सवर्णों की नाराजगी से बीजेपी बेचैन है। वहीं, कांग्रेस सहित बाकी विपक्षी दलों की नजर बीजेपी के मूल वोटबैंक पर है।

सवर्ण समाज, करणी सेना, सपाक्स सहित सवर्णों के 35 संगठनों ने 'भारत बंद' का ऐलान किया है। बीजेपी डैमेज कंट्रोल में जुट गई है। बीजेपी ने कहा कि सवर्णों के खिलाफ नहीं है SC/ST कानून।

भारत बंद पर कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि उच्च जातियों शांतिपूर्ण तरीके से अपनी नाराजगी जाहिर करने का पूरा हक है। देश के लोगों में बेचैनी है और यह सिर्फ उच्च जातियों तक ही सीमित नहीं है। केंद्र सरकार के खिलाफ देश में हर समाज के लोगों में आक्रोश और चिंता है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने सभी लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की है। चौहान ने बुधवार को एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, 'हमारा मध्यप्रदेश शांति का टापू है, मैं पूरे मध्यप्रदेश की जनता से प्रार्थना करना चाहता हूं कि इस शांति को किसी की नजर ना लग जाए। हर नागरिक के लिए मेरे दिल का द्वार खुला हुआ है।

केंद्र की मोदी सरकार सवर्ण समुदाय की नाराजगी को दूर करने की कोशिशों में लगी है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने मंगलवार को वरिष्ठ मंत्रियों और पार्टी नेताओं के साथ एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलटने के बाद बने हालात पर विस्तार से चर्चा की है। इतना ही नहीं उन्होंने सवर्ण समुदाय की नाराजगी को कैसे दूर किया जाए इसके लिए भी मंथन किया।

दूसरी ओर कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि बंद के दौरान किसी के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए। शांतिपूर्ण तरीके का अधिकार है।

सवर्णों के आंदोलन को लेकर LJP नेता रामविलास पासवान ने विपक्ष पर साधा निशाना और पूछा- चुप क्यों हैं कांग्रेस, मायावती और अखिलेश।

नोएडा इंटरप्रेन्योर्स एसोसिएशन के विपिन मल्हन ने कहा कि नोएडा लोकमंच, ब्राह्मण समाजसेवा समिति, अग्रवाल मित्रमंडल, सहित कई संगठनों ने भारत बंद का आह्वान किया है।

गौरतलब है कि इससे पहले जब सुप्रीम कोर्ट ने एससी/एसटी एक्ट मामले में फैसला सुनाया था तो दलित संगठनों ने 2 अप्रैल को भारत बंद किया था। इस दौरान कई जगह हिंसा हुई थी और करीब एक दर्जन लोगों की मौत हो गई थी। इतना ही नहीं कई जगह तोड़फोड़ और आगजनी हुई थी। इसके बाद मोदी सरकार ने दलितों की नाराजगी को दूर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलट दिया था।