कांगड़ा जिला के नूरपुर स्कूल बस हादसे में अपने बच्चों को गंवाने वाले परिजनों को इंसाफ दिलाने की मुहिम में पूर्व मंत्री जीएस बाली भी कूद पड़े हैं। सोमवार को पीड़ित परिजनों के मजबूर होकर सरकारी दफ्तरों तक नाक रगड़ने की घटना को बाली ने बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने समाचार फर्स्ट के एक सवाल के जवाब में कहा कि अगर इंसाफ के लिए लोगों को वाकई में नाक रगड़नी पड़े तो यह सिस्टम के लिए शर्मिंदगी का विषय है। इस घटना से साफ हो जाता है कि हमारा सिस्टम किस कदर खोखला है।
जीएस बाली ने कहा कि इस मामले में लगता है कि सरकार और प्रशासनिक स्तर पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। लेकिन, इस मामले पर राजनीति करने वाले और अपनी जिम्मेदारी से भागने वाले लोगों को थोड़ी संवेदनशीलता बरतनी चाहिए। मासूम बच्चे जब हादसे का शिकार हुए तो सभी नेता और मंत्री एक्सिडेंट साइट पर पहुंचे थे। लेकिन, वर्तमान में जब परिवार न्याय के लिए संघर्ष कर रहा है तो किसी के कान पर जूं तक नहीं रेंग रहा।
जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
उन्होंने सरकार से मांग की है कि हिमाचल सरकार और स्थानीय प्रशासन मामले में हुए अभी तक के जांच को सार्वजनिक करें। साथ ही जांच प्रक्रिया का मांपदंड क्या रहा है इसे भी सार्वजनिक किया जाए। जीएस बाली ने कहा कि अगर पीड़ित परिवार जांच से संतुष्ट नहीं है और उनकी सुनवाई नहीं हो रही तो इसका मतलब साफ है कि मामले में अधिकारी गड़बड़ी का प्रयास कर रहे हैं। लिहाजा, मामले की पुख्ता जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि सांच को आंच नहीं लगती है। अगर जांच प्रक्रिया ईमानदारी से पूरी की गई है तो उसको सार्वजनिक करने में कोई हर्ज भी नहीं होनी चाहिए। साथ ही साथ मामले में गठित रोड-सेफ्टी पर सरकार की आगामी क्या योजनाएं हैं इसको भी लोगों से साझा करें।
अस्पताल में भर्ती हैं जीएस बाली
जीएस बाली की इन दिनों तबीयत ख़राब है। दिल्ली स्थित एम्स में उनका इलाज चल रहा है। वह छाती के भीतर इंफेक्शन की समस्या से जूझ रहे हैं। समाचार फर्स्ट के इस मुद्दे पर टेलिफोनिक इंटरव्यू में उन्होंने खुद को पीड़ित परिजनों के साथ बताया और कहा कि जल्द ही स्वस्थ होते ही वह इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएंगे और इंसाफ के लिए संघर्ष करेंगे