दहेज उत्पीड़नों के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक पुराने फैसले में बदलाव करते हुए पति के परिवार को मिलने वाले सेफगार्ड को खत्म कर दिया है। यानी अब दहेज उत्पीड़न के मामले में पति की तुरंत गिरफ्तारी हो पाएगी। दहेज उत्पीड़न कानून (498 A) पर अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अब शिकायत की सुनवाई के लिए किसी परिवार कल्याण कमेटी की आवश्यकता नहीं होगी।
कोर्ट का कहना है कि पीड़ित महिला की सुरक्षा के लिए इस प्रकार का निर्णय काफी जरूरी है। हालांकि, पति के पास अग्रिम ज़मानत लेने का ऑप्शन बरकरार रहेगा। कोर्ट ने कहा कि समाज में महिला को बराबर हक मिलना चाहिए इसमें कोई दो राय नहीं है, साथ ही हम ऐसा भी निर्णय नहीं दे सकते हैं कि पुरुष पर किसी तरह का गलत असर पड़े। कोर्ट ने दो न्यायाधीशों वाली पीठ के फैसले में बदलाव करते हुए कहा कि दंड कानूनों में मौजूद खामी को संवैधानिक रूप से भरने की अदालतों के पास कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा कि हमने दहेज प्रताड़ना के मामलों में गिरफ्तारी पूर्व या अग्रिम जमानत के प्रावधान को संरक्षित किया है।
गौरतलब है कि 2017 में सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने आदेश दिया था कि दहेज उत्पीड़न के मामले में पति या उसके परिवार की सीधी गिरफ्तारी नहीं हो सकती है। हालांकि, चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने इसपर असहमति व्यक्त की थी।