फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के राफेल डील पर दिए बयान से देश की राजनीति में भूचाल मचा है। कांग्रेस के अध्यक्ष राहुल गांधी के आक्रामक हमले के बाद रक्षा मंत्रालय ने बयान जारी कर स्थिति साफ की है। अपने बयान में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति के बयान के बाद उपजा विवाद बेवजह का है। रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार का कोई हाथ नहीं है।
गौरतलब है कि फ्रांस की मीडिया ने डील में शामिल पूर्व राष्ट्रपति के करीबियों को लेकर सवाल पूछा था, जिसके बाद ओलांद ने कहा था कि रिलायंस का नाम भारत सरकार की तरफ से आया था।
ओलांद के बयान पर मचे घमासान पर रक्षा मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने पहले भी यह बात कही है और फिर से अपनी पूर्व की स्थिति को दोहरा रही है कि रिलायंस डिफेंस को ऑफसेट पार्टनर चुनने में सरकार का कोई हाथ नहीं है। ऑफसेट पॉलिसी की घोषणा पहली बार 2005 में हुई थी, इसके बाद कई बार इसे रिवाइज भी किया गया।
बयान में कहा कि रिलायंस और डिसॉल्ट एविएशन के बीच जॉइंट वेंचर पहली बार फरवरी 2017 में सामने आया। यह दो प्राइवेट कंपनियों के बीच में पूरी तरह कमर्शल अरेंजमेंट है। डिसॉल्ट एविएशन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा था कि उसने कई कंपनियों के साथ पार्टनरशिप अग्रीमेंट साइन किया था, इसके साथ ही वह कई अन्य कंपनियों के साथ बात भी कर रही है।
इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति ओलांद के बयान को हथियार बनाकर मोदी सरकार पर जोरदार हमला बोला और प्रधानमंत्री को चुप्पी तोड़ने की बात कही थी। उन्होंने मांग की है कि पीएम मोदी इस मामले पर देश के सामने सफाई दें।