कैबिनेट बैठक में किराया बढ़ोतरी के फैसले की शिमला नागरिक सभा ने कड़ी निंदा की है। नागरिक सभा का आरोप है कि सरकार निजी बसों को फ़ायदा देने के होड़ में HRTC बसों को नुक्सान पहुंचा रही है। सरकार के इस फैसले से HRTC को भारी नुक्सान होने वाला है। क्योंकि अमूमन प्राइवेट बस संचालक सवारियों से कम किराया वसूलते हैं और अपने बिज़नेस को बढ़ाते हैं। इस निर्णय के लागू होने से एचआरटीसी को प्रतिदिन होने वाली ढाई करोड़ रुपये की आय भी गिर जाएगी।
नागरिक सभा ने कहा कि प्रदेश सरकार की ऐसी ही गलत नीतियों के कारण पहले ही एचआरटीसी कमज़ोर हो गई है और उसकी गाड़ियों की संख्या महज़ 3200 रह गई है। नसीहत देते हुए नागरिक सभा ने कहा कि प्रदेश सरकार किराया बढ़ोतरी के प्रस्ताव के मद्देनजर ग्रीन कार्ड की तर्ज़ पर सभी नागरिकों को किराए में पच्चीस प्रतिशत छूट दे ताकि प्राइवेट बसों का मुकाबला किया जा सके।
उत्तराखंड के मुकाबले हिमाचल में किराया बढ़ा
नागरिक सभा ने कहा कि सरकार के दावा था कि यह वृद्धि उत्तराखंड को आधार बनाकर की गई है। जबकि हकीकत ये है कि उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति हिमाचल से ख़राब है। उत्तराखंड में पहाड़ी इलाकों में बुरी भौगोलिक स्थिति के कारण केवल 28 से 32 सीटर बसें चलती हैं, जबकि हिमाचल के दुर्गम इलाकों में भी 42 से 52 सीटर बसें चलती हैं। इसके बावजूद उत्तराखंड में न्यूनतम किराया 5 रुपये है और लॉन्ग रुट के लिए प्रति किलोमीटर एक रुपये छप्पन पैसे है।
नागरिक सभा ने प्रदेश सरकार को चेताया है कि इस भारी किराया वृद्धि के खिलाफ नागरिक सभा सड़कों पर उतरेगी। सरकार अपने इस फैसले को जल्द वापस ले या फिर प्रदेश के जनता को कुछ रिलायबिलिटी प्रदान करे।