मेडिकल एजुकेशन सेक्टर मेें सुधार की दिशा में केंद्र सरकार ने एक और बड़ा कदम उठाया है। बुधवार को मोदी सरकार ने 'मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया' को भंग कर दिया और उसकी जगह 7 सदस्ययी एक बोर्ड का गठन किया है। इस बोर्ड के मुखिया नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) डॉक्टर विनोद पॉल होंगे। हिमाचल के रहने वाले डॉक्टर पॉल अपनी टीम के साथ स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार लाने का काम करेंगे।
डॉक्टर विनोद पॉल ने बीते एक हफ्ते के भीतर अपनी शख्सियत की बदौलत हिमाचल का सिर गौरव से ऊंचा किया है। पिछले ही दिनों उनके दिमाग की उपज दुनिया की सबसे बड़ी स्वास्थ्य बीमा योजना को देश भर में लागू किया गया। इस योजना का लाभ देश के करीब 50 करोड़ गरीब जनता को गंभीर से गंभीर बीमारी के इलाज में फायदा मिलेगा। फिलहाल, नीति आयोग के सदस्य के रूप में कार्यभार देख रहे डॉक्टर पॉल पर केंद्र सरकार ने एक और विश्वास जताया है। अब एमसीआई की जगह गठित नए बोर्ड का नेतृत्व उन्हें सौंपा गया है।
एमसीआई को भंग कर नया बोर्ड गठित करने के फैसले को बड़ा बदलाव माना जा रहा है। 7 सदस्ययी बोर्ड में एम्स के डायरेक्टर रंदीप गुलेरिया, पीजीआई चंडीगढ़ के डायरेक्टर जगत राम, NIMHANS बेंगलुरू के प्रमुख बीएन गंगाधर, एम्स नई दिल्ली के प्रोफेसर निखिल डंटन, स्वास्थ्य क्षेत्र के डायरेक्टर जनरल एस वैंकटेश और हेल्त रिसर्च के सेक्रेटरी बलराम भार्गव शामिल हैं।
स्वास्थ्य सेक्टर में व्याप्त भ्रष्टाचार को खत्म करने के इरादे से सरकार ने एमसीआई को भंग कर दिया। यह प्रक्रिया केंद्रीय कैबिनेट ने एक ऑर्डिनेंस पारित करके अमल में लाया है।