Follow Us:

गांधी जयंतीः ऐसा था मोहनदास करमचंद गांधी से महात्मा गांधी बनने तक का सफर

समाचार फर्स्ट डेस्क |

2 अक्टूबर,1869 में गुजरात के पोरबंदर में काठियावाड़ नामक स्थान पर पैदा हुए महात्मा गांधी का पूरा नाम था मोहनदास करमचंद गांधी। 1892 तक सब ठीक ठाक चल रहा था। वकालत पूरी हो चुकी थी। कस्तूरबा गांधी से विवाह के बाद 2 बेटे पैदा हो चुके थे। 1893 में दक्षिण अफ्रीका गए तो मानो सब बदल गया। और बस वही से शुरू होती है उनके महात्मा बनने की कहानी।

  • 1893 – उन्हे रंग भेद का सामना करना पड़ा।
  • 1894 – सामाजिक कार्यों के साथ वही रहकर वकालत करने की ठानी और नेटाल इंडियन कांग्रेस की स्थापना की।
  • 1906 – महात्मा गांधी ने आजीवन ब्रह्मचर्य का व्रत लिया।
  • 1907 – पहला सत्याग्रह ‘ब्लैक एक्ट’ के खिलाफ किया।
  • 1909 – हिंद स्वराज किताब की रचना की।
  • 1915 – दोबारा स्वदेश वापसी हुई।
  • 1917 – बिहार के चंपारण जिले में सत्याग्रह का नेतृत्व किया।
  • 1918 – अहदाबाद में मिल मज़दूरों के सत्याग्रह आंदोन का नेतृत्व किया।
  • 1919 – रॉलेट बिल के खिलाफ पहला अखिल भारतीय सत्याग्रह छेड़ा
  • 1920 – केसर-ए-हिंद का खिताब लौटाया और दूसरा राष्ट्रव्यापी सत्याग्रह आंदोलन छेेड़ा
  • 1922 – चौरी-चौरा की हिंसक घटना के बाद जन-आन्दोलन स्थगित किया, उनपर राजद्रोह का मुकदमा चला और उन्होने स्वयं को दोषी  वीकार दिया। उन्हे 6 सालों के लिए जेल भेज दिया गया।
  • 1930 – साबरमती से दांडी तक मार्च किया जिसे नमक सत्याग्रह कहा गया।
  • 1933 – साबरमती तट पर बने सत्याग्रह आश्रम का नाम हरिजन आश्रम रखा
  • 1939 – राजकोट में उपवास के साथ सत्याग्रह अभियान की शुरुआत की।
  • 1940 – व्यक्तिगत सत्याग्रह की घोषणा करने के साथ विनोबा भावे को पहला व्यक्तिगत सत्याग्रही चुना।
  • 1942 – भारत छाड़ो आन्दोलन का राष्ट्रव्यापी आह्वान
  • 1944 – 22 फरवरी को पत्नी कस्तूरबा गांधी का निधन हुआ।
  • 1947 – दिल्ली में लार्ड माउन्टबैटेन तथा जिन्ना से मुलाकात के बाद देश के विभाजन का विरोध किया।
  • 1947 – 15 अगस्त 1947 को कलकत्ता में दंगे को शान्त करने के लिये फिर से उपवास पर बैठे।
  • 1947 – 9 सितम्बर को दिल्ली में साम्प्रदायिक दंगे शांत करने के लिए दिल्ली पहुंचे।
  • 1948 – जिंदगी का आखिरी उपवास 13 जनवरी को किया जो सांप्रदायिक हिंसा के विरोध मेंं ही था।
  • 1948 – 20 जनवरी को बिड़ला हाउस में हो रही प्रार्थना सभा में विस्फोट हुआ था लेकिन सुरक्षा लेने से इनकार कर दिया।
  • 1948 – 30 जनवरी को बिड़ला हाउस में ही उनकी नाथूराम गौड़से ने गोली मारकर हत्या कर दी।
  •