क़हते हैं कुछ कर जाने का टैलेंट हो तो ये जरूरी नहीं कि आप कहां और किस सिच्यूएशन में हो। जी हां, इसका जीता जागता उदाहरण शिमला की मॉडल सेंट्रल जेल में बंद एक दोषी विक्रम सिंह ने पेश किया है। विक्रम ने जेल में रहते हुए कंपिटीशन कंपेनियन मागज़िन को लिखा डाला है, जिसकी पुलिस वालों ने भी सराहना की है।
बताया जा रहा है कि उसकी ये मैगजीन कुछ दिनों में लॉन्च भी हो सकती है। पिछले कल यानी मंगलवार को गांधी जयंति के मौके पर विक्रम सिंह को बकायदा पुलिस प्रशासन ने सम्मानित भी किया। विक्रम सिंह की ये मैगजीन उम्मीदवारों को यूपीएससी और सिविल सेवा की परीक्षाओं की तैयारी में मदद करने के लिए तैयार की है।
विक्रम सिंह का कहना है कि 'मैं यूपीएससी और अन्य सिविल सेवा परीक्षाओं की तैयारी कर रहा हूं, जिससे जेल से बाहर निकलने के बाद परीक्षाओं के लिए बैठ सकूं। उनका कहना है कि अगर मैं बरी नहीं हुआ, तो भी अन्य उम्मीदवारों के लिए इस मैगजीन को प्रकाशित करना जारी रखूंगा।'
शिमला के मंडोल में रहने वाले विक्रम सिंह ने अंग्रेजी और भूगोल में डबल एमए कर रखी है और वे खुद भी सिविल सेवा परीक्षा में बैठने के इच्छुक हैं। सितंबर 2016 में ट्रायल कोर्ट ने शिमला जिले के मंडोल गांव में रहने वाले विक्रम सिंह खिमता को दोषी ठहराया था और सात साल की जेल की सजा सुनाई थी।