सीएलपी लीडर मुकेश अग्निहोत्री ने बीजेपी के जनमंच कार्यक्रम पर सवाल उठाए हैं। अग्निहोत्री ने आरोप लगाते हुए कहा कि जयराम सरकार जनमंच कार्यक्रम का राजनीतिकरण करने का प्रयास कर रही है। लोगों को सरकारी स्तर पर कोई भी काम नहीं किया जा रहा है और अधिकारी उनपर जनमंच में काम होने का दबाव बना रहे हैं। यहां तक कि अधिकारी छोटे-छोटे कामों के लिए भी जनमंच में जाने की सलाह देने लगे हैं, जिससे लोगों को टाइम भी बर्बाद हो रहा है।
अग्निहोत्री ने कहा कि जनमंच कार्यक्रम में विकास कामों की चर्चा से मना किया जाता है। गरीब की कोई दिक्कत है तो उसे सुना नहीं जाता है, जिसमें बजट का प्रावधान हो, सिर्फ इंतकाल, राशन कार्ड, छोटे कामों के लिए ही जनमंच का प्रयोग किया जा रहा है। ये काम अगर कार्यालयों में समय पर होता तो लोगों को राहत मिलेगी। जनमंच में लंबी चौड़ी शिकायतें न आए इसके लिए पूरा प्रशासन 15 दिन तक लोगों के बीच रहकर उन्हें शिकायत करना सिखाता है, जिससे प्रशासनिक कार्यालयों में 15 दिन तक कोई काम उस क्षेत्र का नहीं हो पाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार जनता के बीच जाएं।मंत्री बात सुने इसमें कोई हर्ज नहीं है, यह सरकार का काम है। लेकिन सरकारी पैसे का दुरुपयोग कर रेड कारपेट स्वागत जनमंच जैसे कार्यक्रम में मंत्रियों का किया जाए ,यह अटपटा लगता है। राजनीति के लिए प्रदेश भर में जनमंच कार्यक्रमों का प्रयोग खुलेआम होता देखा जा सकता है और किस प्रकार से सरकारी पैसे पर मंत्रियों का स्वागत किया जा रहा है, यह अपने आप में सरकार औऱ मुख्यमंत्री के सोचने का विषय है। वैसे भी प्रदेश सरकार केवल नाम बदल कार्यक्रम के तहत चल रही है।
'किरायों में हो और भी कमी'
नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा कि प्रदेश सरकार ने जल्दबाजी में बस किरायों को बढ़ा कर जनता पर बोझ लादने का काम किया है। पेट्रोल और डीजल पर केंद्र-प्रदेश में ने वैट के माध्यम से 5 रुपये का मूल्य कम किया है, जो कि काफी नहीं है क्योंकि लगातार पेट्रोल और डीजल के रेट बढ़ रहे हैं। रसोई गैस के दाम आसमान को छू रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश की सरकार को बस किराया की वृद्धि को वापस लेना चाहिए। एक रुपए किराये का कम करना जनता के साथ मजाक से कम नहीं है।