प्रदेश सरकार ने पिछले कल जब अध्यक्षों की नियुक्ति की तो कुछ हारे तो कुछ के टिकट कटे हुए चेहरों को जगह दी गई। ऐसे में भोरंज विधानसभा से डाक्टर अनिल धीमान का नाम गायब होना चर्चा का विषय बन गया। अनिल धीमान पूर्व शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान के बेटे हैं। जिनको देश के सबसे ईमानदार मंत्री और पॉलिटिशियन होने का तमगा मिला था। वहीं, अनिल धीमान खुद भी अपने पिता के देहांत के बाद भोरंज से विधायक बने थे।
सूत्रों की माने तो भोरंज से बीजेपी के शीर्ष नेता ही उनके अध्यक्ष बनाने रोड़ा बने रहे और संगठन के माध्यम से भी अनिल धीमान कुछ ना बने इसके लिए दबाव बनाया जा रहा है। अनिल धीमान कहते हैं कि वो सही विधायक थे लेकिन उनका टिकट काटकर किसी और को दे दिया गया। लेकिन, हमने बिना विरोध के काम किया। जबकि, इन सबके बीच टिकट काटकर किसी और को दिया तो पार्टी से भी कुछ इनाम जिम्मेदारी के रूप में मिलना चाहिए था। लेकिन, उसको देने के बजाय लोकल राजनीति करना गलत है। उन्होंने कहा कि हाईकमान को स्थिति से अवगत करवा दिया गया है और जल्द ही इस पर फैसले की बात उन्होंने कही है।