प्रदेश सरकार लोगों को मूलभूत सुविधाएं देने के चाहे जितने भी बड़े-बड़े वादे कर ले लेकिन धरातल पर अभी भी लोग इन सभी मूलभूत सुविधाओं से कोसों दूर दिखते हैं। चुनाव के समय सभी राजनेता दूरदराज के गांव में पैदल पहुंचकर लोगों से वोट लेने के लिए बड़े-बड़े लुभावने वादे तो करते हैं। लेकिन जब वह चुनाव जीत जाते हैं तो पलट कर भी इन लोगों के दुख दर्द में कमी शामिल नहीं होते हैं। चंबा जिला के केहला और ककीरा गांव की बात करें तो यहां पर पिछले कई अरसे से पेयजल की समस्या विकराल होती जा रही है। लोगों को पीने के लिए पानी कई किलोमीटर दूर से लाना पड़ता है।
उन्हें अपने माल मवेशियों और बाल- बच्चों के लिए पिने के लिए पानी पीठ पर उठाकर लाना पड़ता है। कपड़े धोने के लिए उन्हें कई किलोमीटर दूर खड्ड में जाना पड़ता है जिसके लिए उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ककीरा गांव में भी पानी की काफी समस्या है लेकिन यहां पर 2 या 3 दिन के बाद कुछ समय के लिए थोड़ा बहुत पानी तो लोगों के घरों के नलों में आ जाता है। लेकिन वह मटमैला होने की वजह से पीने के योग्य नहीं होता है उसे लोग बर्तन साफ करने या कपड़े धोने के काम में इस्तेमाल करते हैं।
वहीं, अगर गांव केहला की बात करें तो वहां पर पीने के पानी की समस्या बहुत ज्यादा गहराई हुई है। लोगों के घरों के नलों में कई अरसे से पानी ना आने की वजह से लोगों को अपने इस्तेमाल करने के लिए पानी काफी दूर से लाना पड़ता है। लोगों को अपने कपड़े धोने के लिए दूर खड्ड से जाकर पानी लाना पड़ता है। उन्हें अपने मवेशियों व बाल बच्चों के लिए पीने के लिए पानी या तो सड़क के किनारे हैंडपंप या फिर प्राकृतिक स्त्रोतों से लाना पड़ता है। पिछले दिनों हुई बारिश की वजह से उनके काफी हद तक प्राकृतिक स्त्रोत भूस्खलन की भेंट चढ़ चुके हैं जिसकी वजह से लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
ऐसा नहीं है कि इन गांव में विभाग के पास पानी की आपूर्ति के लिए पानी की कमी है। लेकिन विभागीय लापरवाही के चलते गांव में आने वाली पाइप की मेन सप्लाई में जगह-जगह से रिसाव की वजह से सारा पानी नदी और नालियों में बेकार में बह जाता है। लेकिन लोगों के घरों तक यह पानी नहीं पहुंच पाता है। लोगों ने विभाग से कई बार इसके लिए गुहार भी लगाई है लेकिन अभी तक उनकी समस्या का किसी ने भी समाधान नहीं किया है।
यहां की महिलाओं ने विभाग पर संगीन इल्जाम लगाते हुए कहा है कि उनके गांव में हरिजन लोग रहते हैं जिसकी वजह से उन्हें पानी नहीं दिया जाता है। उन्होंने विभाग पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि विभाग के कर्मचारियों का कहना है कि आप को सबसे अंत में पानी दिया जाएगा तब तक पानी का टैंक खाली हो चुका होता है। उन्होंने बताया की कभी-कबार सुबह के समय पानी दिया जाता है जब वह सो रहे होते हैं। गांव की महिलाओ ने कहा कि उन्होंने भी सरकार को वोट दिए हैं और उनका भी हक है उन्हें भी दूसरों की तरह मूलभूत सुविधाएं मिलें। उन्होंने राजनेताओं पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि जब वोट लेने की बारी आती है तो आठ -दस लोग पैदल चलकर उनके गांव में पहुंच जाते हैं। लेकिन जब जीत जाते हैं तो पलटकर भी गांव की तरफ नहीं देखते हैं।
महिलाओं ने सरकार पर तंज कसते हुए कहा की सरकार अपनी खुले में शौच न जाने की योजना के बारे ने रोजाना रेडिओ और टेलीविजन पर खूब जमकर विज्ञापन देते है। की दरबाजा बंद -लेकिन पानी के बगैर कैसे होगा दरवाजा बंद।