10 अध्यक्ष व उपाध्यक्षों की ताजपोशी जयराम सरकार की सिरदर्द बनने लगी है। इन पदों के लिए अपनी ताजपोशी न होने से कई भाजपा नेता नाराज़ चल रहे हैं। केन्द्रीय मंत्री नड्डा के गृह बिलासपुर जिला को तरज़ीह न देने से नाराज़ सुरेश चंदेल ने तो खुलेआम बग़ावत का ऐलान कर दिया है। कई नेता ऐसे है जो अंदरखाते इन नियुक्तियों को लेकर विरोध जता रहे हैं। एक आढ़ती की डायरेक्टर पद पर नियुक्ति भी ऊपरी शिमला के नेताओं को खटकने लगी हैं।
असूलों की राजनीति की बात करने वाली भाजपा में एक अनार सौ बीमार की स्थिति पैदा हो गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर पर कुछ नेता उन्हें दरकिनार करने का आरोप लगा रहे हैं। अपना नाम न छापने का हवाला देकर नेता कह रहे हैं कि जयराम ठाकुर अपनी नई टीम खड़ा कर रहे हैं जो उनके इशारे पर काम करे। साथ में अपने विरोधियों को पस्त करने के लिए पैरलर नेता खड़े कर रहे हैं। शराफत की राजनीति भी बड़ी अजीब होती है। जो बड़ों- बड़ों को पस्त कर देती है। मुख्यमंत्री एक तीर से दो- दो निशाने लगा रहे हैं।
कांग्रेस का गढ़ रहे शिमला जिला जहां से भाजपा को मात्र तीन सीटें ही मिली हैं वहां एक मंत्री, एक मुख्य सचेतक तीन- तीन उपाध्यक्ष देना, बिलासपुर , चम्बा, ऊना व हमीरपुर जैसे जिलों के गले नही उतर रहा है। लोकसभा के चुनावी दंगल के बीच इस तरह की नियुक्तियां सियासी समीकरण बदल सकती हैं। राजनीति में बदलाब नई बात नही है और पहाड़ी प्रदेश हिमाचल के लोग तो शांता व धूमल जैसे मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों को भी हार का कड़वा स्वाद चखा चुके हैं।