हिमाचल में कांग्रेस पार्टी की आपसी कलह किसी से छिपी नहीं है। कांग्रेसी नेता सरेआम एक दूसरे के ऊपर कीचड़ उछालते रहे है। जिसका खामियाजा भी कांग्रेस पार्टी को नगर निगम चुनावों से लेकर विधानसभा में भुगतना पड़ा है। अभी भी कांग्रेस पार्टी में गुटबाजी कम नहीं हुई है। गाहे बगाहे कांग्रेसी नेता एक दूसरे के ऊपर निशाना साधने से बाज़ नहीं आते है।
दूसरी तरफ सत्ताधारी बीजेपी में अंदरखाते तो गुटबाज़ी की ख़बरें छनकर आती रही है लेकिन सरेआम बग़ावत की चिंगारी धधक नही पाई। लेकिन निगमों बोर्डो में हुई नियुक्तियों के बाद कई बीजेपी नेता सरकार को चेतावनी देने लगे है। ख़बर तो यहां तक है कि क्षेत्र के बड़े नेताओं को निगमों बोर्डो की नियुक्तियों के लिए कॉन्फिडेंस में नहीं लिया गया। जिससे नाराज़ नेता मुख्यमंत्री को घेरने की तैयारी कर रहे हैं। सियासी गलियारों में तो ये भी चर्चा है कुछ विरोधी नेताओं ने ताज़ा उपजे हालातों पर बैठक भी की है।बडे नेताओं ने नाम न छापने का हवाला देखर कहा कि शिमला में एक आढ़ती को निदेशक बना दिया गया जो कि बीजेपी का प्राथमिक सदस्य तक नहीं है।
मुख्यमंत्री ने कुछ हारे हुए नेताओं की भी निगमों बोर्डों में ताजपोशी कर दी है। जिसको लेकर अन्य हारे हुए नेता अंदरखाते विरोध जता रहे है। सुरेश चंदेल, रिखी राम कौंडल व अनिल धीमान सरीक़े नेता तो खुलेआम अपना दर्द व्यान कर चुके है। लोकसभा का चुनाव सिर पर है। ऐसे में बीजेपी के अंदर सुलगती विद्रोह की चिंगारी कहीं किसी बड़ी आग का रूप न ले ले?