शिमला के लक्कड़ बाजार से गुजरो तो सीता राम के छोले-भटुरों की महक दूर से ही आ जाती है। शिमला का शायद ही कोई शख्स हो जो सीताराम के छोले भटूरों के बारे में नहीं जानता हो या उसने सीताराम के छोले-भटुरों का स्वाद न चखा हो। सीताराम के छोले भटुरों का चटपटा स्वाद आपको कही नहीं मिलेगा। लक्कड़ बाजार में छोटी से जगह में जब भी देखो भीड़ हर समय मिलेगी। दुकान के अंदर बाहर लोग बड़े चाव से छोले-भटूरे खाते हैं।
1959 में सीता राम ने यहां छोले भटुरों का काम शुरू किया जो आजतक जारी है। हालांकि, अब सीताराम नहीं रहे हैं लेकिन उनके बेटे पंकज इस पेशे को आगे बढ़ा रहे हैं। उनका कहना कि उनके छोलों भटुरों की रेसिपी अलग है। जिसको खाने दूर दूर से लोग आते है। जो छोलों भटुरों का सामान वह सुबह बनाकर लाते है वह चार बजे तक खत्म हो जाता है उसके बाद दुकान बंद कर दी जाती है। पहले भी जब छोले भटूरे खत्म होते ही दुकान बंद कर दी जाती थी। अब 40 रुपये की प्लेट दी जाती है चार बजे तक सैंकड़ो लोग यहां छोले-भटूरे खा जाते हैं।