शिमला शहर के बाजार करवा चौथ को लेकर दुल्हन की तरह सजे हुए हैं। बाजार में कदम रखते ही चारों तरफ सूट, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी और श्रृंगार की अन्य चीजों से दुकानें भरी पड़ी दिखाई देती हैं। बाजार में महिलाओं का की भारी भीड़ देखने को मिल रही है। करवा चौथ को नजदीक आते देख महिलाएं खरीददारी कर रही हैं। महिलाओं ने सोलह शृंगार की सामग्री के अलावा सरघी और पूजा की सामग्री भी खरीदी।
सबसे अधिक भीड़ कपड़े, ज्यूलर, मिठाई पूजा सामग्री की दुकानों पर दिखी। महिलाओं ने 27 अक्टूबर के करवा चौथ व्रत को लेकर पहले ही पूरे सामान की खरीददारी कर ली है। लोअर बाजार में दिनभर महिलाओं की भीड़ लगी रही। महिलाओं ने बताया कि करवा चौथ नजदीक है इसलिए वे आज बाजार में शॉपिंग करने आई है। शिमला ही नहीं, बल्कि प्रदेश के बाकी जिलों में भी बाजार इसी तरह तेजी पर हैं।
माना ये जाता है कि करवाचौथ की परंपरा देवताओं के समय से चली आ रही है। एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध शुरू हो गया और उस युद्ध में देवताओं की हार हो रही थी। ऐसे में देवता ब्रह्मदेव के पास गए और रक्षा की प्रार्थना की। ब्रह्मदेव ने कहा कि इस संकट से बचने के लिए सभी देवताओं की पत्नियों को अपने-अपने पतियों के लिए व्रत रखना चाहिए और सच्चे दिल से उनकी विजय के लिए प्रार्थना करनी चाहिए।
ब्रह्मदेव के इस सुझाव को सभी देवताओं पत्नियों ने खुशी-खुशी स्वीकार किया और विजय के लिए प्रार्थना की। उनकी यह प्रार्थना स्वीकार हुई और युद्ध में देवताओं की जीत हुई। इस खुशखबरी को सुन कर सभी देव पत्नियों ने अपना व्रत खोला और खाना खाया। उस समय आकाश में चांद भी निकल आया था इसी दिन से करवाचौथ के व्रत के परंपरा शुरू हुई जो आज तक चल रही है।