लगभग चार महीने पहले दिल्ली के बुराड़ी इलाके के एक घर से एक साथ 11 लाशें निकाली गई थीं। तब से लेकर इन 11 मौतों का सच क्य़ा है? एक सवाल बना हुआ था। इस खौफनाक हादसे के मामले में दिल्ली पुलिस ने एक बेहद चौंकाने वाला खुलासा किया है कि बुराड़ी के उस घर में उस रात जो कुछ भी हुआ वो ना तो कत्ल था और ना ही खुदकुशी, बल्कि वो सिर्फ एक हादसा था।
हालांकी घर से छानबीन में एक रजिस्टर मिला था, जिसमें लिखा था- आखिरी समय पर झटका लगेगा, आसमान हिलेगा, धरती हिलेगी.. लेकिन तुम घबराना मत, मंत्र जाप तेज़ कर देना, मैं तुम्हे बचा लूंगा। जब पानी का रंग बदलेगा तब नीचे उतर जाना, एक दूसरे की नीचे उतरने में मदद करना। तुम मरोगे नहीं, बल्कि कुछ बड़ा हासिल करोगे। मगर उन्हें कोई बचाने नहीं आया।
बाद में क्राइम ब्रांच ने बुराड़ी के इस मकान में मिली 11 लाशों के दिमाग की साइकोलॉजिकल अटोप्सी करवाई थी और इसी रिपोर्ट से पता चला है कि बुराड़ी कांड सुसाइड नहीं बल्कि पूजा के दौरान हुआ एक हादसा था। इस हादसे में शामिल किसी भी सदस्य को नहीं पता था कि ऐसा करते वक्त उनकी मौत हो जाएगी।
ये है 11 मौत कि वजह
साइकोलॉजिकल एनलासिस रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली में बसे इस परिवार को मुखिया भोपाल सिंह की अचानक मौत हो गई। इससे छोटा बेटा ललित जोकि शुरू से अपने पिता का लाड़ला था, बाप की मौत का सबसे ज़्यादा सदमा भी उसे ही लगा था। कुछ साल बाद अचानक एक हादसे में ललित की आवाज़ चली गई। पिता की मौत और आवाज़ के चले जाने से ललित पूरी तरह से टूट चुका था. काफी इलाज के बाद भी उसकी आवाज़ नहीं लौटी।
परिवार के करीबियों के मुताबिक इसी दौरान ललित ने घर वालों को बताना शुरू किया कि उसे उसके पिता भोपाल सिंह दिखाई देते हैं। वो उनसे बात भी करते हैं। उसके इस अंधविश्वास में उसे साथ मिला उसकी पत्नी टीना का जो पहले से ही बेहद धार्मिक थी। हद तब हो गई जब वो उनके आदेशों को सुनने और मानने लगा। यहां तक कि अब वो अपने पिता की ही हू-ब-हू आवाज़ निकालने लगा। घर से मिले रजिस्टर के मुताबिक एक रोज़ ललित के पिता ने उसे परिवार से उनकी मुलाकात कराने का आदेश दिया। जो बातें उस रजिस्टर में लिखी हुईं थी वह हर बात ललित लिख रहा था।
पुलिस की मानें तो ललित पिता के आदेशों को ना सिर्फ रजिस्टर में लिख रहा था बल्कि उसे हू-ब-हू पूरा भी कर रहा था। मगर जिस आवाज़ ने ललित से सबको बचा लेने का वादा किया था। उसने बचाया ही नहीं। असल में ऐसी कोई आवाज़ थी ही नहीं। ये तो बस ललित का वहम था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी साफ था कि किसी के साथ किसी भी तरह की ज़बरदस्ती नहीं हुई।