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करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए होता है खास

समाचार फर्स्ट डेस्क |

आज सुहागिनों का त्‍यौहार करवा चौथ का व्रत है। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए खास होता है। करवा चौथ के व्रत का इंतजार हर सुहागिन को रहता है। करवा चौ‍थ पर महिलाएं अपने अखंड सुहाग के लिए व्रत रखती हैं। करवा चौथ के व्रत को बेहद कठिन माना जाता है। इस दिन निर्जला व्रत रखकर महिलाएं अपने सौभाग्य की कामना करती हैं। सोलह श्रृंगार कर चंद्रमा की पूजा करती हैं और चांद को छलनी में देखने के बाद पति के दर्शन करती हैं।
 
बता दें कि पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 40 मिनट से 6 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। पूजा के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देने का समय शाम 7 बजकर 55 मिनट से 8 बजकर 19 मिनट तक होगा। इसी समय पर पूरे देश में चांद के दर्शन होंगे।

इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें, इससे सौंदर्य बढ़ता है। इस दिन करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए। कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए। फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आशीर्वाद लें। पति को प्रसाद देकर भोजन कराएं और बाद में खुद भी भोजन करें। पति और पत्नी का रिश्ता सबसे बड़ा और पवित्र रिश्ता माना जाता है और इसी रिश्ते को मजबूत करने के लिए ही करवा चौथ का त्यौहार मनाया जाता है। करवा चौथ में महिलाएं पति की लंबी आयु और उनकी मंगलकामना के लिए इस व्रत को रखती हैं।

सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्प लें। इसके बाद मिठाई, फल, सेवई और पूरी आदि ग्रहण करके व्रत शुरू करें। फिर संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें। गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं। भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें। श्री कृष्ण को माखन- मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं। उनके सामने मोगरा या चंदन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं। मिट्टी के करवे पर रोली से स्वास्तिक बनाएं। करवे में दूध, जल और गुलाबजल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।