हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की राजनीति में हमीरपुर जिला का स्थान हमेशा ही महत्वपूर्ण रहा है। यहां से जब भी बीजेपी की सरकारें बनी हैं तो मुख्यमंत्री के साथ कई मंत्री तक हमीरपुर ने दिए है। यहां तक कि कई बोर्ड-निगमों में अध्यक्ष और उपाध्यक्षों के पदों पर भी हमीरपुर जिला के नेताओं का काफी फायदा मिला है।
पिछली दो सरकारों की बात करें तो दोनों ही बार हमीरपुर जिला से निगम और बोर्डों के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष की संख्या 5 रही। लेकिन इस बार धूमल की हारने से राजनीतिक समीकरण पूरी तरह बदल गया और सिर्फ विजय अग्निहोत्री के रूप में एक ही चेहरा हमीरपुर जिला को उपाध्यक्ष के रूप में मिला। हालांकि, अभी अध्यक्षों की नियुक्तियां होने बाकी हैं, लेकिन इसमें जिला से किसी बड़े नेता का नाम दौड़ में नहीं नज़र आ रहा।
हमीरपुर से बने अध्यक्ष-उपाध्यक्ष
अगर हम हमीरपुर के इतिहास की बात करें तो 1998 में हमीरपुर से बलदेव शर्मा, बाबू राम मंडियाल, कर्नल चेतराम, रघुनाथ पठानिया और प्रेम सिंह वर्मा को अलग- अलग बोर्ड और निगमों के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष बनाया गया था। इसके बाद जब 2007 में बीजेपी की सरकार बनी तो रशील सिंह मनकोटिया, मिलाप चंद परमार, जेके चौहान, जोगिंद्र वर्मा और अजीत चौहान को बनाया गया। इससे स्पष्ट पता चलता है कि सत्ता का केंद्र बदलते ही कैसे सभी राजनीतिक गणित भी अपने आप बदल जाते हैं। यहां तक कि अब तो कुछ नेता भी दबी जुबान में कहने लगे हैं कि धूमल की हार का नुकसान तो हमीरपुर को होना ही था जो कि अब दिखने भी लगा है।
जहां तक विजय अग्निहोत्री की बात है तो वह लंबे समय से पार्टी के साथ तो जुड़े ही हैं, साथ ही संघ और विद्यार्थी परिषद में उनकी सक्रियता उनके राजनीतिक कद को अपने आप बयां कर देती है। इसके साथ ही हिमाचल प्रदेश में मंत्रियों और मुख्यमंत्री को भी उनके उपाध्यक्ष बनाने में हाथ रहा है।