हिमाचल में जलरक्षकों ने अपनी मांगों को लेकर प्रदेश सरकार के खिलाफ मोर्चा दिया है। जलरक्षकों ने शुक्रवार को विधानसभा का घेराव किया और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। जलरक्षकों का कहना है कि सरकार उनके लिए कोई ठोस नीति बनाने की मांग की है। अपने प्रति प्रदेश सरकार के ढुलमुल रवैया के खिलाफ जल रक्षक बिफर गए हैं।
जलरक्षकों का कहना है कि वे पिछले 11 साल से न्यूनतम वेतन पर पंचायतों में काम कर रहे हैं। उन्हें समय पर वेतन भी नहीं मिल रहा है। प्रदेश के अधिकतर जिलों में जलरक्षकों को एक साल से ऊपर समय बिना वेतन सेवाएं देते हो चुका है। लेकिन, बिना वेतन के परिवार का इस महंगाई के दौर में भरण पोषण करने के लिए हाथ खड़े हो गए हैं। जलरक्षक पंचायतों में छह से आठ घंटे ड्यूटी दे रहे हैं। लेकिन, अभी तक प्रदेश सरकार ने इस काडर के कर्मियों के लिए कोई भी नीति नहीं बनाई है।
पंचायतों में तैनात 6200 जलरक्षकों ने सरकार चेताया है कि उनकी मांग पूरी नहीं हुई, तो जलरक्षक आंदोलन को और तेज करेंगे। कांग्रेस की सरकार में जलरक्षकों की तैनाती की गई थी, उस समय मात्र 750 रुपये मानदेय दिया जाता था, बीजेपी की सरकार में पूर्व सीएम धूमल ने मानदेय में 600 रुपये बढ़ोत्तरी करके 1350 रुपये किया था। लेकिन, कांग्रेस राज में सीएम वीरभद्र सिंह ने 150 रुपये मानदेय में वृद्धि की है। वह भी आज दिन तक जलरक्षकों को नहीं मिली है।