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मंडी: भूमि अधिग्रहित हो जाने पर भी मिलता रहेगा कृषक प्रमाणपत्र

समाचार फर्स्ट |

सरकार यदि किसी किसान या जमीन मालिक की सारी भूमि किसी कार्य़ के लिए अधिग्रहित कर लेती है तो भी उस किसान को कृषक प्रमाणपत्र मिलता रहेगा। इस बारे में मंडी उपायुक्त ऋगवेद ठाकुर ने जिला के सभी एसडीएम, तहसीलदार और नायब तहसीलदारों को आदेश जारी कर दिए हैं।

उपायुक्त ने आदेश जारी करते हुए कहा है कि उनके ध्यान में आया है कि विभिन्न परियोजनाओं हेतु जिन लोगों की कृषि भूमि का अधिग्रहण हो रहा है उनके पक्ष में कृषक, स्थायी निवासी व जाति प्रमाणपत्र जारी करने हेतु क्षेत्रीय कर्मचारियों में असमंजस की स्थिति पैदा हो रही है। इसे लेकर उन्हें लिखित आदेश जारी किए जाते हैं कि हिमाचल प्रदेश भू-सुधार अधिनियम की धारा 1972 की धारा 118 (2)(1)(1) के तहत यदि किसी हिमाचली कृषक की कृषि भूमि किसी जनहित हेतु अर्जित हो जाती है, तो वह कृषक की परिभाषा से बाहर नहीं होगा। ऐसे मामलों में जहां किसी भू-मालिक की समस्त कृषि भूमि अर्जित हो जाती है तो उसे अन्य कृषि भूमि क्रय करने से रोका जाना उचित नहीं है।

उपायुक्त ने आदेश में कहा है कि ऐसे मामलों में कृषि भूमि के हस्तांतरण से पहले संबंधित भू अर्जन अधिकारी से इस आशय का प्रमाणपत्र लेकर तदानुसार कार्रवाई अमल में लाई जाए। हिमाचली प्रमाणपत्र के बारे में भी उपायुक्त ने सभी संबंधित अधिकारियों को दिशा निर्देश देकर सपष्ट किया है कि ऐसे किसी भी व्यक्ति जो जिसका प्रदेश में स्थायी घर हो, पिछले 20 सालों से हिमाचल प्रदेश में रहता हो, प्रदेश में उसका स्थायी घर हो मगर वह अपने व्यवसाय के कारण बाहर रहता हो।

इसी तरह से जाति प्रमाणपत्र भी समस्त भूमि अर्जित हो जाने के बाद भी मिल सकेगा। इन आदेशों की प्रतियां अतिरिक्त मुख्य सचिव हिमाचल प्रदेश और फोरलेन संघर्ष समिति के अध्यक्ष बिग्रेडियर कुशाल ठाकुर को भेजी गई हैं। उल्लेखनीय है कि फोरलेन संघर्ष समिति ने उच्च स्तरीय बैठक में इस मामले को उठाया था।