माता और पुत्र के मिलन का प्रतीक अंतरराष्ट्रीय रेणुकाजी मेले का आज शांतिपूर्ण तरीके से समापन हो गया। दशमी के दिन मां रेणुका से मिलने पहुंचे भगवान परशुराम की देव पालकी आज वापस जामू कोटी लौट गई। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने खुद मंदिर परिसर में हवन यज्ञ कर परंपरा अनुसार पालकी को कंधा देकर विदा किया।18 नवंबर से 23 तक आयोजित हुए इस अंतरराष्ट्रीय मेले की शुरुआत मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने की थी जबकि समापन पर राज्यपाल ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई।
राज्यपाल ने इस अवसर पर लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा कि पारम्परिक गीत, लोक कला तथा वाद्ययंत्र आज भी प्रचलित हैं तथा हमारी प्राचीन संस्कृति को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि मेले तथा उत्सव हमारी संस्कृति की पहचान हैं और इनका आयोजन कर हमें प्रदेश की संस्कृति को उजागर करना चाहिए, ताकि भावी पीढ़ियां राज्य की इस समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर से अवगत हो सके।