करीब पांच दशक से विस्थापन का दंश झेल रहे पौंग बांध विस्थापितों के लिए राहत भरी खबर आई है। राज्य सरकार पौंग बांध विस्थापितों का हिमाचल में ही पुनर्वास होगा। इसके लिए सरकार जिला प्रशासन कांगड़ा को उपयुक्त जमीन तलाशने के निर्देश दिए हैं। प्रदेश में ही जमीन की तलाश करे और पुनर्वास का पूरा खर्च राजस्थान सरकार से लिया जाए। कोर्ट ने दोनों सरकारों को आपस में बैठकर इसका समाधान निकालने के निर्देश दिए हैं।
गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने बीते दिनों मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि पौंग बांध विस्थापितों राजस्थान के जैसलमेर और बीकानेर के कठिन क्षेत्रों पुनर्वास जमीन दी जा रही है। जहां रहना आसान नहीं है।
ऐसे में प्रदेश सरकार का दायित्व है कि वो विस्थापितों के लिए राज्य में ही जमीन उपलब्ध करवाए। इसका खर्च राजस्थान सरकार से लिया जा सकता है। इसके लिए दोनों राज्यों के मुख्य सचिव बैठक कर पौंग बांध विस्थापितों की समस्या का कोई हल निकालें।
क्या है पूरा मामला
मामले की अगली सुनवाई 10 दिसंबर को तय की है। पौंग बांध संघर्ष समिति के सलाहकार अश्वनी कुमार शर्मा ने कहा कि कोर्ट का यह फैसला स्वागत योग्य है। उन्होंने प्रदेश सरकार से कोर्ट के निर्देशानुसार पौंग बांध विस्थापितों को हिमाचल में जल्द से जल्द बसाने की गुहार लगाई।
हिमाचल में पौंग बांध में हजारों लोगों की भूमि चली गई। 16352 पौंग बांध विस्थापितों के पुनर्वास के लिए राजस्थान के गंगानगर जिले में दो लाख 20 हजार एकड़ भूमि आरक्षित की गई थी। इसमें से 30 हजार एकड़ केंद्र सरकार ने केंद्रीय राज्य फार्म जैतसर के रिलीज कर रखी है, लेकिन स्थानीय
प्रशासन ने उस भूमि पर कब्जा कर रखा है। इसके चलते अभी भी 5000 पौंग बांध विस्थापित पुनर्वास के लिए भटक रहे हैं। पौंग डैम बनाने के लिए साल 1971 में भूमि का अधिग्रहण हुआ था। तब से लेकर अब तक विस्थापित पुनर्वास के लिए दरबदर हो रहे हैं।