प्रदेश में सरकार किसी की भी रही हो पर हर सरकार का दावा एक ही होता है और वे दावा है विकास का, लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि यह विकास आखिर है कहां। दुनिया में लोग चांद पर जमीन खरीद रहे हैं, लेकिन हिमाचल के कुछ गांव एसे भी है जहां आजादी के 70 सालों बाद भी सड़क सुविधा नहीं है। इन गांवों में सड़क सुविधा न होने के कारण मरीजों को पालकी में डालकर सड़क तक ले जाना पड़ता है।
एेसा ही एक ताजा मामला शाहुपर के कुठारना पंचायत के डनन गांव में देखने को मिला है। यहां सड़क सुविधा के अभाव में एक गर्भवती महिला ने पालकी में ही बच्चे को जन्म दे दिया। यह घटना उन दावों पर करारा तमाचा, जो सडकों को लेकर रोजाना किए जाते हैं। इस घटना ने प्रदेश की वर्तमान और पूर्व सरकार या इससे पहले रही सरकारों द्वारा विकास को लेकर किए गए तथा किए जा रहे बड़े-बड़े दावों की पोल खोल कर रख दी है।
जानकारी के मुताबिक कुठारना पंचायत के डनन गांव के टीका सेल निवासी आरती पत्नी मनोहर की डिलीवरी होनी थी। सेल गांव सड़क सुविधा से बंचित है तथा रविवार को उनकी तवीयत बिगड़ने पर उनके परिजन और ग्रामीण उन्हें पालकी में उठा कर अस्पताल के लिए रवाना हो गए, लेकिन महिला ने अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में पालकी में बच्ची को जन्म दे दिया। अहम यह है कि इससे पहले आरती के पहले बच्चें की बीमारी के दौरान समय पर अस्पताल न पहुंच पाने पर मौत हो चुकी है।
रविवार को हुई इस घटना से लोगों में भारी रोष है। लोगों ने इस घटना के बाद आपात बैठक कर सरकार के खिलाफ भारी रोष प्रकट किया है। लोगों का कहना है कि सड़क सुविधा न होने के चलते चमियारा, सेल, दडंन और दुली के लगभग 1 से अधिक लोगों की असमय मौत हो चुकी है। लोगों की माने तो वे पिछले 40 सालों से सरकार और प्रसाशन के समक्ष सड़क सुविधा देने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अभी तक उनकी मांग को अनदेखा किया जाता रहा है।
ग्रामीणों ने इसी मांग को लेकर जुलाई 2018 में विशाल धरना भी दिया था, लेकिन सरकार ने धरने को भी हल्के में लिया। ग्रामीणों ने इस घटना के बाद अब लोकसभा चुनाव का बहिष्कार करने का एलान भी कर दिया है। ग्रामीणों ने कहा कि वे विकास से कोसो दूर है। उन्होंने कहा कि सरकार उनके साथ सौतेला व्यवहार कर रहे है।