13 दिसंबर… वो दिन जिसे भारतीय लोकतंत्र कभी भूल नहीं पायेगा। 17 साल पहले आज ही के दिन हमारे लोकतंत्र को लहूलुहान करने की नापाक़ कोशिश हुई थी। 13 दिसंबर 2001 को पांच आतंकियों ने संसद भवन को निशाना बनाया था, जिसे हमारे बहादुर जवानों ने सर्वोच्च श़हादत देकर नाकाम कर दिया।
संसद हमले के 17वीं बरसी पर देश उन शहीदों को याद कर रहा है, जिन्होंने अपनी जान देकर लोकतंत्र के मंदिर को बचाया था। आज संसद भवन में आयोजित कार्यक्रम में उन वीरों को याद किया गय़ा औऱ उनकी श़हादत को नमन किया गया। उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी समेत कई नेताओं ने संसद हमले में शहीद हुये जवानों को नमन किया।
17 साल पहले आज ही के दिन लश्कर-ए-तयैबा औऱ जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकियों ने संसद भवन को उड़ाने की नाकाम कोशिश की थी। लेकिन संसद में तैनात सुरक्षाकर्मियों ने आधे घंटे के मुठभेड़ के बाद पांचों आतंकियों को मार गिराया। इस मुठभेड़ में दिल्ली पुलिस के 6 जवान, संसद की सुरक्षा में तैनात 2 सुरक्षाकर्मी और एक माली की जान चली गयी थी।
बताया जाता है कि हमले को लेकर आतंकियों ने पूरी तैयारी की थी औऱ उनके मंसूबे काफी खतरनाक थे। 2001 में जिस दिन हमला हुआ उस वक्त शीतकालीन सत्र चल रहा था और ताबूत घोटाले को लेकर संसद में काफी हो-हल्ला भी हो रहा था। आतंकियों को ये पता था कि उस वक्त संसद में सांसदों की संख्या अच्छी खासी होगी। उनका मंसूबा पूरे संसद को उड़ाने के साथ-साथ सांसदों को बंधक बनाने का भी था। हमले के बाद जब आतंकियों के कार की तलाशी ली गयी तो उसमें से तीस किलो आरडीएक्स औऱ खाने-पीने की चीजें काफी मात्रा में थी।