अगर आपको भी ट्रेन में बिना टिकट की आदत है तो जरा संभल जाइए। बिना टिकट ट्रेन की यात्रा करने वाले यात्रियों पर पाबंद लगाने के लिए रेलवे ने टिकट चेकिंग का नया तरीका निकाला है। काउंटर पर बैठकर टिकट काटने और यात्रियों के सवालों का जवाब देने वाले कर्मचारियों को अब टिकट जांच करने की भी जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इसके पीछे तर्क है कि ऑनलाइन टिकट बुकिंग की वजह से आरक्षण केंद्रों पर तैनात कर्मचारियों का काम कम हुआ है। ऐसे में इनका उपयोग टिकट जांच के लिए भी किया जाएगा। इसे लेकर रेलवे बोर्ड ने सभी जोनल रेलवे को निर्देश भी जारी कर दिया है।
इस समय रेलवे में यात्र टिकट परीक्षक (टीटीई) के 25 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं, जिससे ट्रेनों में टिकट जांच प्रभावित हो रही है। हालत यह है कि 40 फीसद कोच में यात्रियों के टिकट की ठीक से जांच नहीं हो पाती है। इसका फायदा उठाकर आरक्षित कोच में भी बेटिकट या बिना वैध टिकट वाले यात्री सवार हो जाते हैं। इससे रेलवे को राजस्व का नुकसान होने के साथ ही यात्रियों को भी परेशानी होती है।
रेलवे सुरक्षा के लिहाज से भी यह गंभीर मामला है, जिसे लेकर रेलवे बोर्ड भी चिंतित है। इस समस्या का हल निकालने के लिए हाल ही में रेलवे बोर्ड ने मुख्य वाणिज्यिक प्रबंधकों की बैठक बुलाई थी। उसके बाद अब इन्क्वायरी कम रिजर्वेशन क्लर्क (ईसीआरसी) कैडर के कर्मचारियों को टिकट जांच की जिम्मेदारी देने का फैसला किया है।
टीटीई कैडर के कर्मचारी परेशान
रेलवे बोर्ड के इस फरमान से टीटीई कैडर के कर्मचारी परेशान हैं। उनका कहना है कि ईसीआरसी कैडर के कर्मचारियों का वेतनमान ज्यादा है। यदि उन्हें टिकट जांच के काम में लगाया जाएगा तो टीटीई कैडर के कर्मचारियों की पदोन्नति पर असर पड़ेगा। हालांकि, रेलवे अधिकारी उनकी इस आशंका को खारिज कर रहे हैं।
इस बारे में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिव गोपाल मिश्र का कहना है कि टीटीई के खाली पड़े पदों को भरने की जरूरत है। यदि काम की अपेक्षा ईसीआरसी कर्मचारियों की संख्या अधिक है तो इन्हें कहीं और समायोजित करने के लिए रेलवे यूनियन के प्रतिनिधियों के साथ चर्चा की जानी चाहिए।