जयराम सरकार को प्रदेश की सत्ता संभाले 1 साल पूरा होने को आया है। सरकार गरीबों के लिये कई योजनायें चला रही है । ऐसी ही एक योजना है गरीबों को घर देने की । अब सरकार पर ये आरोप लग रहा है कि गरीबों को जो मकान दिया जा रहा है, उनमें भेदभाव हो रहा है । चेहरा देख कर लोगों को मकान आवंटित किया जा रहा है । ऐसा ही एक मामला सामने आया है सिराज विधानसभा के जन सलाह गांव में, जहां के एक पात्र को घर नहीं दिया जा रहा । शख्स का कहना है कि लाभार्थीयों की सूची में मेरा नाम सबसे ऊपर था । लेकिन मेरा नाम ये कहकर खारिज कर दिया गया कि ''कांग्रेसियों को मकान नहीं दिया जाएगा''
यह है मामला
ये मामला सिराज विधानसभा के जन सलाह गांव का है। यहां रहने वाले एक गरीब बिहारी लाल का कहना है कि सरकार जो मकान गरीबों को देने वाली थी उस लिस्ट में मेरा नाम ग्राम सभा में सबसे पहले नंबर पर रखा गया था। लेकिन जब से प्रदेश में जयराम मुख्यमंत्री बने हैं, तब से जो मकान हमें आसानी से मिल जा रहे थे। अब हमें उन मकानों के लिए यह कहकर खारिज कर दिया जा रहा है कि 'कांग्रेसियों को मकान नहीं दिया जाएगा'
बिहारी का यह भी कहना है कि सारे मामले की जानकारी संबंधित अधिकारियों को भी है। लेकिन दबाव के चलते वह उन्हें मकान के लिए मिलने वाली राशि को आवंटित नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले तो मेरा नाम लिस्ट में था लेकिन जब एक बार फिर से मकानों के लिए पैसा आया, तो कागजों में मेरे मकान को पक्का दर्शा कर, मुझे इस कोटे से ही बाहर कर दिया गया है। जबकि ग्राम सभा में हमारे नाम का चयन हुआ था।
वहीं ब्लॉक कांग्रेस कमेटी सिराज के अध्यक्ष जगदीश रेडी का कहना है कि 'गरीबों के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए और बिहारी लाल का मकान का दावा बिल्कुल सही है और खुद मुख्यमंत्री को इस मामले में संज्ञान लेना चाहिए'।
आरोप अगर सत्य है तो ये एक गरीब के साथ मजाक है । सरकार किसी पार्टी के कार्यकर्ता की नहीं होती बल्कि प्रदेश के हर नागरिक की होती है ।