शीतकालीन सत्र के पांचवें दिन सोमवार को लोकसभा में ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों से जुड़ा एक अहम बिल पारित कर दिया गया। यह बिल ट्रांसजेंडर्स के अधिकारों को संरक्षित करता है जिस पर सदन ने ध्वनिमत से मुहर लगा दी। इस बिल में ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करने, उनके खिलाफ भेदभाव पर पाबंदी लगाने और उन्हें लिंग पहचान का अधिकार देने के प्रावधान शामिल हैं।
लोकसभा में अलग-अलग मुद्दों पर विभिन्न दलों के सदस्यों के हंगामे के बीच सदन ने 27 सरकारी संशोधनों को स्वीकार करने और कुछ विपक्षी सदस्यों के संशोधनों को खारिज करते हुए विधेयक को मंजूरी दे दी। विपक्षी दलों के सांसदों ने इस विधेयक में और सुधार की जरूरत बताई।
सदन में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री थावरचंद गहलोत ने कहा कि इस विधेयक में ट्रांसजेंडर समुदाय के लोगों के हितों का खास ध्यान रखा गया है और यह अपने आप में परिपूर्ण है। इस पर लम्बा विचार विमर्श किया गया जिसमें संबंधित लोग एवं संगठन शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि इस विषय पर मसौदे को वेबसाइट पर रखा गया था और लोगों से सुझाव मांगे गए थे। संसद की स्थायी समिति ने भी इस पर विचार किया और 27 सुझाव मान लिये गए हैं। इस विषय पर कुछ सदस्यों के सुझाव भी मान लिये गए हैं और कुछ सुझाव को नियम बनाते समय शामिल करने का प्रयास किया जायेगा।
हाशिए पर हैं ट्रांसजेंडर्स
केंद्रीय मंत्री ने इस संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट के फैसले और राज्यसभा में सांसद तिरूचि शिवा की ओर से पेश निजी विधेयक के पारित होने का जिक्र किया। विधेयक के उद्देश्यों और कारणों में कहा गया है कि ट्रांसजेंडर समुदाय देश में एक ऐसा समुदाय है जो सर्वाधिक हाशिये पर है क्योंकि वे ‘पुरूष’ या ‘स्त्री’ के सामान्य वर्गों में फिट नहीं हैं। यही वजह है कि इस वर्ग को सामाजिक बहिष्कार से लेकर भेदभाव, शैक्षणिक सुविधाओं की कमी, बेरोजगारी, चिकित्सा सुविधाओं की कमी और इसी प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
भारत के संविधान में सभी व्यक्तियों को समता की गारंटी एवं सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सुनिश्चित किये जाने के बाद भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के खिलाफ भेदभाव और अत्याचार होना जारी है। सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रीय विविध सेवा प्राधिकरण बनाम भारत सरकार के मामले में 15 अप्रैल 2014 को उनके अधिकारों के सुरक्षा के लिए उन्हें तृतीय लिंग के रूप में मानने का निर्देश दिया है।
विधेयक में ट्रांसजेंडर व्यक्ति को परिभाषित करने, उनके खिलाफ विभेद को प्रतिषेध करने, उन्हें स्वत: अनुभव की जाने वाली लिंग पहचान का अधिकार देने, उन्हें पहचान प्रमाणपत्र प्रदान करने के साथ नियोजन, भर्ती, पदोन्नति और अन्य संबंधित मुद्दे पर उनके साथ विभेद नहीं करने का प्रावधान किया गया है।
इस बिल में एक शिकायत निवारण नेटवर्क स्थापित करने और नेशनल ट्रांसजेंडर काउंसिल स्थापित करने का प्रावधान है। विधेयक के उपबंधों का उल्लंघन करने पर दंड का भी प्रावधान किया गया है।