बाबा राम रहीम के मामले से हिमाचल को सबक लेने की जरूरत है। आज हम हिमाचल में सोलन के कंडाघाट के रूड़ा गांव में रामलोक आश्रम के विवादित बाबा अमरदेव की की बात कर रहे हैं। इनका भी प्रदेश के कई कद्दावर नेताओं से गठजोड़ है जिनके ऊपर जानवरों की खालों की तस्करी से लेकर तलवार से महिला को जख्मी करने जैसे मामले चल रहे हैं।
बता दें कि अप्रैल 2017 में एक महिला पर तलवार से जानलेवा हमला करने के बाद स्थानिय लोगों ने बाबा की पिटाई की थी। इसके बाद अमरदेव आईजीएमसी के स्पेशल वॉर्ड में ऐडमिट हुआ था और मुख्यमंत्री ने यहां आकर उनसे मुलाकात की थी। अमरदेव बाबा के बारे में कुछ दिन पहले एक मीडिया रिपोर्ट में ये जानकारी मिली है कि उसके इलाज का खर्च मुख्यमंत्री राहत कोष से हुआ है।
जानकारी के मुताबिक IGMC के स्पेशल वॉर्ड में ऐडमिट अमरदेव का 25 हजार रुपये का बिल बना था, जिसकी पेमेंट पहले कंड़घाट भेजी गई फिर वहां से ये पेमेंट आईजीएमसी डायवर्ट की गई। अब प्रशन ये उठता है कि सरकारी ज़मीन पर कब्जा करने से लेकर तेदुओं की खाल रखने के आरोप में गिरफ्तार इस विवादित बाबा के ईलाज के बिल का भुकतान मुख्यमंत्री राहत कोष से क्यों किया गया? रामलोक मंदिर परिसर में 25 करोड़ रुपये की मूर्तियां स्थापित करने का दावा करने वाले बाबा के पास भुकतान करने के लिए 25 हजार रुपये भी नहीं थे, ये बात कुछ अटपटी सी लगती है। वहीं, प्रदेश सरकार के कई मंत्री और मुख्यमंत्री इस बाबा पर इतने मेहरबान क्यों हैं।
वहीं, जानवरों की खाल रखने के आरोप में बाबा अमरदेव की गिरफ्तारी से कई मंत्रियों और अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया था। स्वास्थ्य मंत्री कौल सिंह ठाकुर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री धनीराम शांडिल, एसपी प्रदेश विजिलेंस रमेश छाजटा भी बाबा अमरदेव के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए अकसर आते रहते थे। वहीं, विपक्षी बीजेपी के नेता भी बाबा से मिलते रहे हैं। बाबा की पहुंच का अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि जब ये अस्पताल में भर्ती थे तो सीएम वीरभद्र सिंह इनसे मुलाकात करने पहुंचे थे, और तो और, बाबा ने राजनीतिक साठगांठ से रातों-रात कंडाघाट का पूरा थाना ट्रांसफर करवा दिया था।