विश्व प्रसिद्ध रामसर साइट वेटलैंड महाराणा प्रताप सागर (पौंग झील) में ठंड बढ़ने के साथ ही प्रवासी पक्षियों का आगम बढ़ना शुरू हो गया है। 15 दिसंबर तक की हुई रूटीन गणना के मुताबिक़ पौंग झील में 43 प्रजातियों के 60 हजार विदेशी परिंदे पहुंच चुके हैं।
पौंग झील में लगातार प्रवासी पक्षियों के आने से झील का नजारा ही बदल गया है। वहीं, झील में 15000 से अधिक विदेशी प्रजाति के पक्षी बार हेडेड गूज की पहली पसंद पौंग झील बनी है। ठंढ में विश्व भर में सबसे ज्यादा इस प्रजाति के पक्षी हिमाचल पहुंचते हैं। तीस हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ने वाले ये पक्षी आधी रात को हिमालय क्रॉस कर हिमाचल पहुंचते हैं।
बता दें कि पौंग झील पहुंचने वाली इस प्रजाति का आंकड़ा साल दर साल बढ़ रहा है। इसके अलावा नार्थन पेंटल 5800, कामन कूट 5000 कॉमन पौचाट 5200 के करीब पक्षी हैं।
इन प्रवासी पक्षियों को देखने के लिए देश और विदेशों से पर्यटक भी लगातार आ रहे हैं। नगरोटा सूरियां तथा पौंग झील के किनारे सुबह व शाम को ये रंग-बिरंगे पक्षी देखे जा सकते हैं। कि इन प्रवासी पक्षियों की गणना जनवरी माह में होती है तथा इसके अलावा इन प्रवासी पक्षियों को कॉलर रिंग तथा ट्रांसमिटर भी लगाए जाते हैं। अक्टूबर माह में सर्दियों की शुरुआत के साथ ही ट्रांस हिमालयन में झीलों के जमने के साथ ही विदेशी परिंदे पौंग बांध की ओर रुख करना शुरू कर देते हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार विदेशी परिंदों की संख्या डेढ़ लाख तक पहुंच सकती है, क्योंकि अभी एक माह से ज्यादा का समय वार्षिक गणना होनी बाक़ी है।
समुद्र तल से 1450 मीटर ऊंचाई पर स्थित इस झील को स्पेन में वर्ष 2002 में आयोजित पर्यावरणविदों के अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में रामसर साइट का दर्जा दिया गया था। वन्य प्राणी विभाग के डीएफओ किशन कुमार ने बताया विभाग द्वारा पौंग झील के एरिया में शिकारियों पर नजर रखने के लिए सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं जो कि हर आने जाने वाले व्यक्ति पर नजर रख रहे हैं। अब जो भी पौंग झील का दीदार करने आएगा उसे पहले एंट्री गेट पर अपनी रजिस्ट्रेशन करवानी होगी।