हाईकोर्ट के आदेशों के बाद जागे नगर निगम शिमला में विशेष बैठक बुलाई। इस बैठक में अहम रूप से निगम की संपत्तियों के दाम बढ़ाने का फैसला लिया गया। बैठक में लिए गए फैसले के मुताबिक, निगम ने पदमदेव कॉम्प्लेक्स के रेट 50 रुपये प्रति वर्ग फीट कर दिए हैं, जबकि माल रोड़ के रेट 150 रुपये होंगे। इसके साथ ही मिडल बाज़ार, राम बाज़ार, लोकल बस स्टैंड के रेट 35 रुपये और लोअर तथा लक्कड़ बाज़ार के रेट 40 रुपये वर्ग फीट तय किये गए।
वहीं, गंज बाज़ार सब्जी मंडी का रेट 25 रुपए प्रस्तावित किया जिसपर खूब हंगामा हुआ। आख़िर में चर्चा के बाद 18 रुपए वर्ग फीट पर सहमति बन पाई। इसके अलावा शिमला के उपनगरों में ये रेट 30 प्रस्तावित था जिसको चर्चा के बाद 22 रुपए प्रति वर्ग फीट किया गया। गोदाम का रेट 10 रुपए रखा गया है जिसमें गंज और सब्जी मंडी में गोदाम के रेट 7 रुपये होंगे। मौजूदा समय में ये रेट 100 से 2500 तक के हैं। इसमें जिन दुकानों के दाम उक्त दामों से ज्यादा है वह कम नहीं होगा।
सबलेटिंग नहीं कर पाएंगे दुकानदार
वैसे इन जगहों के मार्किट रेट लाखों में हैं जबकि रेट बढ़ाने के बाद भी किराया 10 से 15 हज़ार से आगे नहीं जाएगा। लेकिन बैठक में बढ़ी हुई दरों का दुकानदार विरोध कर रहे हैं, क्योंकि कई दुकानदारों ने दुकानों को नाज़ायज़ तरीक़े से बढ़ा रख़ा है। कुछ दुकानदारों ने तो मनमर्ज़ी से दुकानें सबलेटिंग तक कर दी है। यदि प्रति वर्ग फुट के हिसाब से किराया वसूला जाता है तो उनको अब जेब से ज्यादा किराया देना पड़ेगा। इसलिए दुकानदार बेवजह का विरोध कर रहे हैं।
वहीं, हाइकोर्ट के आदेशों के बाद जागे निगम ने नए रेट को मंजूरी दे दी है। नगर निगम की 987 दुकानें है जो एक साल या इससे अधिक की लीज़ पर दी थी जो कि ख़त्म हो चुकी है। इसी बीच कुछ लोगों ने तो ईमानदार निगम आयुक्त को बदलने के लिए लॉबिंग भी शुरू कर दी है ताकि निगम की आड़ में वह गलत धंधे चला सकें। हैरानी की बात ये है निगम के पार्षद कभी किसी मुद्दे पर सीरियस नज़र नहीं आते। सिर्फ़ शोर मचाते हैं, लेकिन किसी नतीज़े पर पहुंचने तक अपनी स्थिति स्पष्ट नहीं कर पाते।