वन अधिकार समिति ने जिला मुख्यालय रिकांगपिओ में अपनी मांगों को लेकर एक विशाल रैली निकाली। जिला वन अधिकार समिति के जिलाध्यक्ष जिया लाल नेगी एवं सचिव परमेशवर नेगी ने बताया कि लिप्पा गांव के व्यक्तिगत दावे में जो भी अपील की गई है उसका जिला वन अधिकार समिति पुरजोर समर्थन करती है और मांग करती है कि क़बायली क्षेत्रों के दावों को शीघ्र बहाल किया जाए।
गौरतलब है कि जिलाध्यक्ष जिया लाल नेगी और सचिव परमेशवर नेगी ने कहा की 15 दिसम्बर को जिला स्तरीय कमेटी की बैठक उपायुक्त किन्नौर की अध्यक्षता में हुई थी। इसमें 47 व्यक्तिगत दावों को खारिज किया गया है। इस बैठक में चुने हुए 3 प्रतिनिधियों के विरोध के बावजूद भी एक तरफा निर्णय लिया गया। जोकि पूरी तरह असंवैधानिक है।
उन्होंने बताया कि एसपी रिकांगपिओ को लिखित में अपनी आपत्तियां दी हैं और यह भी बताया है कि वन अधिकार कानून हमारे देश के संसद द्वारा पारित कानून है, जिसका उल्लंघन हकदारों के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन होगा क्योंकि किन्नौर एक अनुसूचित जनजातीय इलाका है। इस कानून के प्रावधानों में ये भी शामिल है की अनुसूचित जनजाति के दावेदारों को अपने अधिकारों से वंचित करने पर एससी/एसटी अत्याचार निवारण कानून का भी उल्लंघन होगा।