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10 सालों से जर्जर कमरे में जिंदगी बीताने को मजबूर है ये परिवार, सरकार कर रही अनदेखी

मृत्युंजय पुरी, चंबा |

चंबा जिला की हरिपुर पंचायत को महामहिम राष्ट्रपति द्वारा निर्मल ग्राम पंचायत का इनाम तो मिल चुका है लेकिन अभी भी इस पंचायत में बहुत काम होना बाकी है। चंबा जिला की हरिपुर पंचायत के फाट गांव में रह रहे सुरेंद्र कुमार अपनी पत्नी और पांच बच्चों के साथ एक कमरे में दिन बिता रहे हैं। दुख की बात यह है कि यहां रह रहे बच्चे बिना लाइट के मोमबत्ती के सहारे अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे हैं।

दरअसल साल 2008-09 में प्रशासन द्वारा सुरेंद्र कुमार को इंदिरा विकास योजना के तहत 38500 रुपये की धनराशि स्वकृत करवाई गई थी। जिसमे से 14400 रुपये की पहली क़िस्त उसे दे दी गई थी। लेकिन पंचायत के मुताबिक उसने घर का काम नहीं शुरू करवाया था जिसके लिए उसे पंचायत द्वारा नोटिस भेजा गया था। बाद में इसी  वजह से उसे डिफाल्टी घोषित कर दिया गया था और उसे  सरकार की किसी भी योजना का लाभ नहीं दिया गया। सुरेंद्र कुमार का पूरा परिवार एक जर्जर हालत वाले  कमरे में रह रहा है जो कभी भी गिर सकता है। जब बारिश होती है तो वह अपने बाल बच्चों के साथ पास के स्कूल के बरामदे में रात गुजारते हैं।

यहां तक कि कोई गांव वाला भी उन्हें आश्र्य नहीं देता है। इनके घर में न तो पानी की सप्लाई है और न ही सौचालय की व्यवस्था। सरकार द्वारा तो इन्हें डिफाल्टर घोषित कर दिया गया लेकिन क्या अब सरकार के पास इन्हें आसरा देने की कोई भी साधन नहीं बचा या फिर प्रशासन इनके घर के गिरने और उसमें उनके बच्चे दबने का इंतजार कर रही है यह देखने वाली बात जरूर है।

पाइप के सहारे फूंक मारकर आग जलाती सुरेंद्र कुमार की पत्नी छिम्बी देवी ने बताया कि वह अपने पति और बच्चों के साथ पिछले 10 सालों से इसी जर्जर हालत के कमरे में अपनी जिंदगी के दिन बिता रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके घर की हालत बहुत ही खराब है। जब बारिश होती है तो सारा पानी कमरे के अंदर आ जाता है जिसकी वजह से उन्हें काफी दिक्कत होती है।

उन्हें छत के ऊपर पॉलिथीन की तिरपाल विछानी पड़ती है ताकि पानी घर के अंदर ना आए। जब अधिक पानी उनके घर में घुस जाता है तो वह अपने बाल बच्चों के साथ पास के स्कूल के बरामदे में ही रात बिताती हैं। उन्होंने बताया बिजली ना होने की वजह से उनके बच्चे मोमबत्ती के सहारे ही पढ़ाई करते हैं। जब10  साल पहले उनका परिवार साथ रहता था तो उस वक्त घर में बिजली भी हुआ करती थी लेकिन जब सभी भाई अलग हो गए तो उनके बिजली का मीटर हटा दिया गया अब उनके पास इतने पैसे नहीं है की वह बिजली का अपना मीटर लगवा पाएं।

छिम्बी देवी की एक बेटी की शादी भी हो चुकी है लेकिन वह कभी भी अपने पति के साथ मायके में वापस नहीं आई क्योंकि घर की हालत इतनी खराब है कि वह भी यहां आने में गुरेज करती हैं। छिम्बी देवी ने सरकार से आग्रह किया है कि उन्हें घर बनाने के लिए सहायता की जाए साथ ही उनके घर में बिजली की व्यवस्था भी की जाए ताकि उनके बच्चे सही तरीके से पढ़ पाए।