कोटखाई गैंगरेप-हत्याकांड मामले में जिस तरह से पुलिस की कार्यशैली है उससे यह मामला नोएडा में हुए चर्चित आरुषी हत्याकांड की राह पकड़ता दिखाई दे रहा है। जिस तरह से केस को हैंडल किया जा रहा है, उसके मद्देनजर केस काफी उलझता हुआ जान पड़ रहा है। इस मामले में गुड़िया के परिजन पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं हैं बल्कि सीबीआई जांच की मांग पर अड़े हुए हैं। कोटखाई की जनता लगातार पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रही है।
पुलिस ने जिन 6 लोगों को गिरफ्तार किया है उनको लेकर भी स्थानीय लोगों में गुस्सा है। लोगों का कहना है कि पुलिस मामले में शामिल असल अरोपियों को छोड़ गलत लोगों को धूल झोंकने का काम कर रही है। इस मामले में आक्रोशित जनता सड़कों पर है। कोटखाई में जिला परिषद सदस्य नीलम सरैक के साथ सैंकड़ों महिलाओं ने विरोध मार्च निकाला है। इसके अलावा अलग-अलग जगहों पर युवा-महिला और बच्चे लगातार सड़कों पर डंटे हुए हैं और मामले में इंसाफ की मांग कर रहे हैं।
जनता का संदेह
- पहले जांच में देरी पर पहले रसूखदार लोगों का हवाला दिया। अब कहां हैं वे रसूखदार आरोपी?
- पुलिस ने जिन लोगों को आरोपी बता रही है उन्हें उनके घर से गिरफ्तार किया गया। अगर वे सच में अपराधी होते तो घर में क्या करते कहीं फरार रहते।
- फॉरेंसिक टीम को कौन सा सुराग़ हाथ लगा है जिनके बिनाह पर आरोपियों को गुनहगार बताया जा रहा है?
- वारदात स्थल पर पुलिस चार घंटे बाद पहुंची थी। तब तक फॉरेंसिक जांच से संबंधित कई सबूत नष्ट हो चुके थे।
सीबीआई जांच से क्यों घबरा रही है राज्य सरकार?
कोटखाई समेत हिमाचल प्रदेश की जनता के भीतर कई सवाल हैं, जिनके मद्देनजर वो पुलिस की नाइरेटिव को पचा नहीं पा रही है। मगर, जिस तरह से केस को हैंडल किया जा रहा है। डर इसी बात का है कि कहीं यह मामला आरुषी मर्डर मिस्ट्री की तरह बनकर ना रह जाए। उस मामले में भी पुलिस की लापरवाही और गलत दिशा में जांच की वजह से मामला पेचिदा हो चुका था। ऐसे में पीड़ित परिजन और कोटखाई समेत शिमला की जनता को भी पुलिस जांच पर विश्वास नहीं बन पा रहा है।