Follow Us:

ऊना अस्पताल प्रबंधन की लापरवाही, गर्भवती महिला को प्रसव के लिए भेजा निजी अस्पताल!

रविंद्र, ऊना |

ऊना अस्पताल एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। यहां अस्पताल प्रबंधन ने एक गर्भवती महिला को प्रसव करवाने के लिए निजी अस्पताल जाने के मजबूर कर दिया। जबकि उक्त पीड़ित महिला की आर्थिक स्थिति निजी अस्पताल का खर्च नहीं उठा सकती थी। बाद में स्थानीय विधायक की मदद से महिला निजी अस्पताल गई और वहां उसका सफ़ल प्रसव करवाया गया।

दरअसल, सरकारी अस्पताल में मौके पर कोई भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। जब अस्पताल के MS से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने साफ़ कह दिया है कि फिलहाल सभी डॉक्टर कोर्ट गए हैं और जो एक डॉक्टर हैं उनके पास अभी 5 ऑपरेश्न हैं। इसके चलते महिला का कोई इलाज़ मौके पर संभव नहीं है। यहां तक अस्पताल प्रबंधन ने महिला को दाखिल तक करना और प्राथमिक उपचार देना भी जरूरी नहीं समझा।

बाद में स्थानीय विधायक सतपाल रायजादा मौके पर पहुंचे और उन्होंने एमएस सहित बाकी स्टाफ की क्लास लगाई। लेकिन इसके बावजूद भी अस्पताल प्रबंधन ने महिला का कोई इलाज नहीं किया। बाद में प्रसव से तड़पती महिला को देख विधायक ने उन्हें निजी अस्पताल भेजा और आर्थिक मदद करते हुए उन्हें मौके पर 11 हज़ार की राशि दी।

विधायक और एमएस के बीच हुई बहस

महिला को निजी अस्पताल पहुंचाकर विधायक ने फिर सरकारी अस्पताल का रुख किया और इस दौरान अस्पताल के एमएस और विधायक के बीच गहमा-गहमी हो गई। विधायक ने आरोप लगाया कि एमएस अपनी ड्यूटी को सही ढंग से नहीं निभा रहे और कमरे में बैठकर हीटर सेंक रहे हैं। विधायक ने चेतावनी दी है कि अगर अस्पताल में व्यवस्थाएं न सुधरी तो आंदोलन किया जाएगा। अस्पताल प्रसाशन स्वास्थ्य सुविधाएं देने में नाकाम साबित हुआ है। अगर जल्द ही व्यवस्थाएं न सुधरी तो वह आंदोलन करेंगे।

7 जनवरी को थी प्रसव की तारिख़

बताया जा रहा है कि महिला 9 महिने से इसी सरकारी अस्पताल से ट्रीटमेंट ले रही थी। अभी तक सब अच्छा चल रहा था और डॉक्टर ने उनकी डिलवरी डेट 7 जनवरी बताई थी और डॉक्टरों ने कहा था कि इसी बीच वे दर्द होने पर कभी भी अस्पताल आ सकती हैं। लेकिन किन्हीं कारणों के चलते महिला की डिलवरी उस दिन नहीं हो पाई और अचानक उन्हें दर्द होने पर वे 9 तारीख़ को अस्पताल पहुंची। लेकिन जैसी ही वे यहां पहुंची पूरे अस्पताल प्रबंधन की ये लापरवाही देखने को मिली। महिला के साथ परिजनों का कहना है कि विधायक की मदद से उन्हें निजी अस्पताल पहुंचाया गया। जबकि सरकारी अस्पताल के हालात़ तो बदत्तर हो चुके हैं।